देश का सबसे बड़ा ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक जल्द ही कर्मचारियों को शेयर का विकल्प देने, विशेषज्ञों की भर्ती करने और उन्हें जल्दी प्रोन्नति देने जैसे कदम उठा सकता है जिसने ऋण के बोझ तले इस क्षेत्र में व्यापक बदलावों की पहल की है। सभी स्टेट बैंक मुनाफा बढ़ाने और गैर-निष्पादित आस्तियों को कम करने और आर्थिक वृद्घि को गति देने के लिए बैंकिंग क्षेत्र को बेहतर बनाने को लेकर दबाव में है। सरकार और बैंकों का पूरा ध्यान इस वक्त बैंकों की ओर है।
बैंकों को पूंजी जुटाने के लिए कहीं अधिक कड़े अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करना होता है लेकिन फिलहाल सरकार का ध्यान प्रतिभाशाली लोगों की तलाश की ओर है। वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने हाल ही में कहा, 'बैंकिंग क्षेत्र में जिस समस्या की ओर हमें सबसे पहले ध्यान देना है वह प्रदर्शन और प्रतिभा से संबंधित है। हालांकि अपने छोटे प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले एसबीआई के पास कहीं अधिक स्वायत्तता है लेकिन एसबीआई की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य भी खराब तनख्वाह से नौकरियां देने पर लगी रोक जैसी समस्याओं का सामना कर रही हैं।
स्टेट बैंक भी ऐसे सख्त भर्ती प्रक्रिया का पालन करते हैं जिसके तहत बाहर से किसी योग्य व्यक्ति की नियुक्ति संभव नहीं है। भारत के स्टेट बैंक एक राष्ट्रीय परीक्षा के जरिये निचले स्तर पर भर्ती करते हैं जो समय के साथ वरिष्ठï पदों पर पहुंच जाते हैं। एसबीआई में कुल 2,15,000 कर्मचारी हैं। भट्टïाचार्य फिलहाल सरकार के साथ मिलकर वर्ष 2013 की अदालत के उस आदेश को रद्द कराने की कोशिश में लगी है जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर कैंपस से भर्ती करने की रोक लगाई गई थी।