जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शहपुरा डिंडौरी के भूमि व भर्ती घोटाले पर कार्रवाई सुनिश्चित करने कहा है। इसके लिए कलेक्टर डिंडौरी को 30 दिन की मोहलत दी गई है।
मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर व जस्टिस संजय यादव की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता शहपुरा डिंडौरी निवासी रामकिशोर गौतम का पक्ष अधिवक्ता श्रीमती सुधा गौतम ने रखा।
उन्होंने दलील दी कि शहपुरा डिंडौरी के शिक्षा विभाग में एलडीसी आरपी चौरसिया ने शासकीय भूमि पर लंबा-चौड़ा निर्माण किया। इसके बाद मकान किराए पर दे दिए। यही नहीं प्रेरक की भर्ती में भी गड़बड़ी को अंजाम दिया गया। इसके तहत जिनको कम्प्यूटर के 20 नम्बर दिए जाने थे, उनका हक मारकर 50-50 हजार रिश्वत देने वालों को चयनित कर लिया गया।
आरजी व एजी को सौंपें रिपोर्ट-
बहस के दौरान बताया गया कि भूमि व भर्ती घोटाले की शिकायत संभागायुक्त व कलेक्टर से की गई लेकिन लंबे समय से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसीलिए व्यापक जनहित में हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद जनहित याचिका का इस निर्देश के साथ निपटारा कर दिया कि कलेक्टर 30 दिन के भीतर शिकायत पर नियमानुसार ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करें। जिसकी रिपोर्ट रजिस्ट्रार जनरल व महाधिवक्ता को सौंपनी होगी। खास बात यह है कि इस मामले में आरपी चौरसिया की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका भी खारिज कर दी गई। हालांकि उसे अपने निलंबन के खिलाफ अलग से याचिका दायर करने स्वतंत्र कर दिया गया है।
