भोपाल। मप्र में कांग्रेस के नेतापतिपक्ष सत्यदेव कटारे क्या फूलछाप कांग्रेसी हैं। क्या उन्होंने भी शिवराज के राज में फायदे उठाए। ये सवाल इन दिनों राजनीति के गलियारों में उठने लगे हैं क्योंकि कटारे के खिलाफ जो जांच ईओडब्ल्यू कर रही है उसका लव्वोलुआब यही निकलकर आ रहा है।
सरकार इन दिनों सत्यदेव कटारे के खिलाफ एक मामले की जांच कर रहे हैं। जांच ऐजेंसी ईओडब्ल्यू है। एफआईआर दर्ज होने की नौबत भी आ गई है।
क्या है आरोप
सरकार ने आईएसबीटी में बिना टेंडर और गलत तरीके से प्लॉट हासिल करने के आरोप में कटारे के खिलाफ ईओडब्ल्यू को जांच के आदेश दिए हैं. आरोप है कि कटारे ने बिना किसी टेंडर और नीलामी प्रक्रिया के बीडीए से ये प्लॉट हासिल किया था, जिस पर पेट्रोल पंप बनाया जाना था लेकिन उसकी जगह मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बना दी गई. ईओडब्ल्यू ने इस मामले में बीडीए से रिकॉर्ड जब्त कर लिया है, जिसके बाद अब कटारे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी की जा रही है.
हालांकि, ये गड़बड़ी बीजेपी सरकार के ही शासनकाल में हुई जब बीडीए के चेयरमैन ध्रुव नारायण सिंह थे. कटारे ने वर्ष 2006 में आईएसबीटी परिसर में प्लॉट खरीदा था. इस प्लॉट में दूसरा ऑफर नहीं डाला गया था. इसलिए आसानी से उन्हें इसका आवंटन भी हो गया. कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपने पेट्रोल पंप के साइड के प्लॉट को इससे बदलने का प्रस्ताव बीडीए को दिया, जिस पर बीडीए ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उन्हें इस प्लॉट का आवंटन कर दिया.
कटारे का दावा
वहीं कटारे का दावा है कि उन्होने कोई गड़बड़ी नहीं की है. उनके मुताबिक विज्ञापन के आधार पर उन्होंने बीडीए से प्लॉट लिया, जिसके अलावा एक इंच जमीन पर भी उनका कब्जा नहीं है. कटारे ने इस मामले को पूरी तरह राजनीति से प्रेरित बताया है. साथ ही राज्य सरकार को खुली चुनौती भी देते हुए कहा है कि वह किसी से डरते नहीं है.
लव्वोलुआब
कुल मिलाकर लव्वोलुआब यह निकलकर आ रहा है कि कटारे ने भी शिवराज के राज में नियमों का फायदा उठाकर लाभ कमाया। करोड़ों की प्रॉपर्टी बनाई। जबकि सदन में कटारे सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं। इस मामले में आरोपी तत्कालीन बीडीए चेयरमैन ध्रुवनारायण सिंह को भी बनाया जाना चाहिए क्योंकि नियमों से छेड़छाड़ तो उन्होंने भी की। खैर मामले का जो भी हो परंतु अपनी ही कांग्रेस में कटारे की धुलाई करने के लिए विरोधियों को एक मुद्दा और मिल गया।