पंचायत सचिवों को संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना होगा

वैभव श्रीधर/भोपाल। गांवों में भ्रष्टाचार के ऐसे ढेरों केस देखते हुए सरकार ने तय किया है कि हर साल पंचायत सचिवों की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाएगा। प्रदेश की 23 हजार पंचायतों के सचिवों को वर्ष 2014-15 के दौरान संपत्ति का ब्यौरा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पोर्टल 'पंचायत दर्पण" में मई तक दर्ज कराना होगा। माना जा रहा है कि इससे भ्रष्टाचार पर तो अंकुश लगेगा ही, साथ ही भ्रष्टाचार के मामलों में जांच एजेंसियों को शिकवा-शिकायत मिलने पर संपत्ति की प्रारंभिक जानकारी जुटाने में आसानी होगी।

करोड़पति पंचायत सचिव
आय से अधिक संपत्ति के जो मामले सामने आए हैं उनमें पंचायत सचिवों की संपत्ति एक करोड़ से भी ज्यादा मिली है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में अभी तक मुख्य कार्यपालन अधिकारी, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के इंजीनियर, लेखापाल और सरपंच के खिलाफ अनियमितताओं के मामले आते थे लेकिन पंचायत सचिवों के खिलाफ शिकायतें तेजी बढ़ी हैं। 2014 में लोकायुक्त संगठन ने श्योपुर के सचिव राजकुमार सिंह शुक्ला के यहां छापा मारकर 1 करोड़ 26 लाख, मंडला के सचिव राजकुमार परस्ते के यहां 87 लाख 16 हजार और अलीराजपुर के सचिव हानिफ खान के यहां 86 लाख 45 हजार से ज्यादा की संपत्ति का पता लगाया। तीनों मामलों में जांच चल रही है।

बड़ा बजट है पंचायतों का
सरकार की चिंता है कि पंचायतों को विकास कार्यों के लिए 50 लाख से लेकर डेढ़ करोड़ तक मिलने लगे हैं। सड़क बनाने से लेकर छोटे-मोटे निर्माण कार्य पंचायत स्वयं कराने लगी है। इससे गड़बड़ी का खतरा भी बढ़ा है। यही वजह है कि कार्य स्वीकृति से लेकर पेमेंट का पूरा ब्यौरा पंचायत दर्पण पोर्टल पर डलवाने का फैसला किया है तो मनरेगा का पूरा काम ऑनलाइन कर दिया है। हाल ही में सरपंचों से चेक जारी करने के अधिकार छीन लिए हैं।

पारदर्शिता बढ़ाने का प्रयास
अपर मुख्य सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास अरुणा शर्मा का कहना है कि पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए पंचायत दर्पण पोर्टल पर सचिवों की संपत्ति का ब्यौरा डालना अनिवार्य किया गया है। इससे सबको पता होगा कि किस सचिव के पास कितनी संपत्ति है।

कुछ उदाहरण
केस-1 पंचायत कटंगी, दमोह के सचिव राजू रजक के खिलाफ विशेष पुलिस स्थापना, लोकायुक्त में शिकायत हुई थी कि इंदिरा आवास के लिए रिश्वत मांग रहा है। लोकायुक्त ने 6 हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया।

केस-2 शासन ने खरगौन की पंचायत टेमरा के जय सिंह मंगतिया को खेत में पपीता लगाने के लिए 2 लाख 16 हजार रुपए मंजूर किए थे। पंचायत सचिव दिनेश गीते ने राशि जारी करने 40 हजार मांगे। शिकायत पर लोकायुक्त टीम ने 25 हजार की रिश्वत लेने सचिव को रंगे हाथों गिरफ्तार किया।

केस-3 शिवपुरी की पंचायत बीरा के सचिव अरुण कुमार शर्मा को वीरेन्द्र राय की शिकायत पर 13 हजार 200 रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया।


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