भोपाल। एक ओर जहां बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से परेशान किसानों को राहत देने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डेढ़ गुना ज्यादा मुआवजा देने की घोषणा की है। वहीं दूसरी ओर कुछ जिम्मेदार ऐसे भी हैं जो हमारे अन्नदाता भाइयों के दर्द पर राहत का मरहम लगाने के बजाय अपने कठोर शब्दों से नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं।
पहले भिंड कलेक्टर मधुकर आग्नेय ने परेशान अन्नदाता का उपहास उड़ाया। कांग्रेस की ओर से हाल ही में एक ऑडियो जारी किया गया जिसमें कलेक्टर कह रहे हैं कि भिंड में जो भी मरेगा क्या फसल देखकर मरेगा? कलेक्टर ने यह भी कहा कि पांच बच्चे पैदा करेंगे, तो प्राण तो निकलेंगे ही।
जबकि आंकड़े कहते हैं कि, जिले में 28 मार्च से लेकर 5 अप्रैल तक लगभग रोजाना एक किसान की मौत हुई। अकेले भिंड जिले में सात किसानों ने मौत को गले लगा लिया है। वह भी सिर्फ 9 दिनों में यानि लगभग रोजाना एक किसान ने आत्महत्या की।
बुधवार को सूबे के कबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के एक बयान ने मौसम की मार झेल रहे किसानों पर घड़ों पानी फेर दिया। कैलाश ने मीडिया के सामने बयान दिया कि कोई भी किसानों की आत्महत्या मौसम के चलते बर्बाद हुई फसलों से जुड़ी नहीं है बल्कि इसके पीछे उनके व्यक्तिगत कारण रहे हैं। उन्होंने कहा कि, "किसी ने भी फसल बर्बाद हो जाने के चलते आत्महत्या नहीं की। मध्यप्रदेश में किसान अपने निजी समस्याओं के चलते आत्महत्या कर रहे हैं।"