अरविंद मेनन। सच्चाई किसी के कहने-सुनने की मोहताज नहीं रहती। इंटरनेट के युग में तो स्थिति और भी पारदर्शी हो गई है। ऐसे में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अनिवासी भारतीयों के सम्मेलन में विदेश में की गयी टिप्पणी पर राज्यसभा में कांग्रेस द्वारा किया गया हंगामा कांग्रेस की हताषा ही अभिव्यक्त करता है।
पहले तो यह कि कांग्रेस समझती है कि राज्यसभा में सत्तादल का अंकबल कमजोर है इसलिये कांग्रेस का हंगामा उसकी अवसरवादिता को प्रभावित करता है। दूसरे यह कि जब श्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान आरंभ किया था भारत के बारे में दुनिया में नकारात्मक छवि थी। घोटालों से त्रस्त निवेशक भारत से पलायन कर रहे थे। तब श्री नरेंद्र मोदी ने विश्वास दिलाया था कि वे गंदगी को साफ करेंगे और उनके सत्ता संभालने के बाद हालात बदले हैं। भारत की ओर निवेशक आकर्षित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने दावों को कसौटी पर कसकर प्रमाणित कर दिया है कि उन्होंने जो कहा था उसे करके भी दिखाया है। यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष विश्व बैंक और दुनिया की रेटिंग एजेंसियों ने कहा है कि भारत की अर्थ व्यवस्था ही दुनिया में धुंधला रही अर्थव्यवस्था में आशा की किरण है। कांग्रेस स्वयं विचार करें कि श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र का सम्मान बढ़ाया है या नहीं ? श्री नरेंद्र मोदी ने विश्वशक्तियों से कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का स्वाभाविक हक होगा किसी की बख्शीस नहीं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी स्वयं आत्म परीक्षण करें और हंगामा के औचित्य पर विचार करें। जब डॉ. मनमोहन सिंह विदेश के दौरे पर थे और उनकी मंत्रि परिषद द्वारा पारित अध्यादेश श्री राहुल गांधी ने फाड़कर कूड़ादान में फेक दिया था। विदेशो में डॉ. मनमोहन सिंह पर क्या गुजरी थी। कांग्रेस ने तो गैर सरकारी ऐसे खिदमतदार बनाये थे जो यूपीए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में सदस्य होते हुए भारत की विश्व मंच पर बदनामी करते थे। गुजरात के दंगों के लिये इकतरफा न्याय मांगने विदेशो में ढोल बजाते थे। कांग्रेस अपना चेहरा दर्पण में देखने के बजाय आईना फोड़ रही है।
लेखक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री हैं।