मुंबई/नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ऐसी योजना लांच करने पर विचार कर रही है जिससे सरकार को तो फायदा होगा ही, मंदिर प्रबंधन को भी धार्मिक कार्यों पर खर्च के लिए बजट की कमी नहीं होगी। दरअसल, सरकार देश के प्रमुख मंदिरों में जमा चढ़ावे या दान का कुंतलों सोना लेकर उसके बदले में मंदिरों को ब्याज देना चाहती है। सरकार उस सोने को पिघला कर सोना कारोबारियों को मुहैया कराएगी जिससे हर साल विदेश से आयात किए जा रहे सोने की मात्रा में कमी आएगी। उधर, मंदिर प्रबंधन के पास ब्याज की अच्छी खासी रकम होने से वे धार्मिक और सामाजिक कार्य दिल खोल कर कर सकेंगे।
3000 टन सोना मौजूद
यहां के प्राचीन मंदिरों के पास आभूषण, सोने के सिक्के और तमाम किस्म का चढ़ावा उपलब्ध है। भारत में मंदिरों के पास सुरक्षित सोने की कुल मात्रा लगभग 3000 टन आंकी गई है। यह केंटकी के फोर्ट नॉक्स में सुरक्षित अमेरिकी सरकार के कुल सोने के भंडार से भी दो तिहाई गुना ज्यादा है। देश के बड़े मंदिरों में इस बेशुमार धन को हिफाजत में रखने के लिए कहीं पर तहखाने हैं तो कहीं कड़े सुरक्षा इंतजाम हैं।
सोना आयात में भारत अव्वल
भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत में सोने का प्राकृतिक भंडार नहीं पाया जाता है। ऐसे में हमें विदेश से सोने का आयात करना पड़ता है। इस प्रस्तावित योजना से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भारत में सोने का आयात काफी कम हो जाएगा। मार्च 2013 में खत्म हुए वित्तीय वर्ष में सोने के आयात का फीसद भारत के कुल व्यापार घाटे का 28 फीसद था। भारत सालाना 800 से 1000 टन सोना आयात करता है। सरकार को उम्मीद है कि इस योजना के कामयाब हो जाने की स्थिति में कुल सोने का आयात एक तिहाई तक कम हो जाएगा।
सिद्धि विनायक में 158 किलो सोना
मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर करीब 200 साल पुराना है। यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। भक्तों के चढ़ावे से मिले 158 किलो सोने का भंडार यहां चौबीसों घंटे कड़े सुरक्षा पहरे में रहता है। इस सोने की कीमत लगभग 67 मिलियन डॉलर यानी लगभग 417 करोड़ रुपये है। हालांकि, सोने के मामले में यह इकलौता मंदिर नहीं है। केरल का पद्मनाभ मंदिर, तिरुपति बाला जी मंदिर आंध्र प्रदेश समेत कई अन्य मंदिरों में कुंतलों सोना है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर के गुप्त तहखाने में बंद खजाने की कीमत 20 बिलियन डॉलर से भी अधिक मानी जाती है।
क्या चाहते हैं प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि मंदिरों के इस सोने के भंडार का इस्तेमाल भारतीय अर्थव्यवस्था पर लंबे समय से हावी व्यापारिक असंतुलन को दूर करने में किया जाए।
क्या चाहते हैं मंदिर ट्रस्ट
सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र मुरारी राणे ने कहा कि हमें सरकार की ऐसी किसी योजना का हिस्सा बनकर अपना सोना राष्ट्रीय बैंकों में जमा करने में खुशी होगी। हम सिर्फ यह तसल्ली करना चाहेंगे कि योजना कितनी लाभदायक और सुरक्षित है। हम चाहते हैं कि सरकार 5 फीसद की दर से ब्याज दरों का प्रावधान रखे।
कुछ भक्तों में नाराजगी
काफी भक्त इस योजना के प्रारूप से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि ईश्वर को चढ़ाए गए उनके भेंट को पिघलाने का ख्याल सही नहीं है। मुंबई के एक सोना व्यापारी ने बताया कि उनके पिता ने सिद्धिविनायक मंदिर में अब तक तकरीबन 200 किलो सोने का चढ़ावा दिया है और श्रद्धा के चढ़ावे पर मंदिरों का ब्याज लेना पाप होगा। 52 वर्षीय व्यापारी का कहना है कि भक्त ईश्वर के लिए भेंट देते हैं, न कि मंदिर ट्रस्ट के लिए।
किसको क्या लाभ होगा
1. सोना आयात में गिरावट आने से व्यापार घाटे से उबरने में सरकार को मदद मिलेगी।
2. सोना कारोबारियों को आसानी से जरूरत भर सोना उपलब्ध होगा।
3. मंदिर प्रबंधन ब्याज की रकम से मंदिर का रखरखाव, जीर्णोद्धार, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम करा सकेंगे। इसके लिए बजट की समस्या नहीं होगी।
जनता भी रख सकती सोना
मोदी सरकार ऐसी ही एक और योजना पर काम कर रही है। सरकार चाहती है कि भारतीय परिवार भी गहने और अन्य सोने के आइटम बैंकों में रखवाएं। एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ भारतीय घरों में 17000 टन से ज्यादा सोना होने की उम्मीद है। हालांकि, परिवारों से सोना लेना सरकार के लिए इतना आसान नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 70 फीसद ग्रामीण आबादी सोने में निवेश करती है।
पहले फ्लॉप हो चुकी योजना
इसी योजना से मिलती-जुलती एक योजना 1999 में भी लागू की गई थी, लेकिन वह योजना इसलिए सफल नहीं हो पाई थी क्योंकि सरकार की तरफ से बैंकों को जिस ब्याज दर की पेशकश की गई थी वह मंदिरों की उम्मीद से काफी कम थी।
उस योजना के तहत भारतीय स्टेट बैंक 0.75 से 1 फीसद का ब्याज देता है जिसकी वजह से महज 15 टन सोना ही बैंक में जमा हुआ। अब मंदिर प्रबंधन आकर्षक ब्याज दरों की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, सरकार दरों का खुलासा तब करेगी जब आधिकारिक तौर पर योजना का ऐलान किया जाएगा।
देश के प्रमुख मंदिर
1. तिरुमला तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश
2. पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल
3. वैष्णो माता मंदिर, जम्मू
4. साईं बाबा मंदिर, महाराष्ट्र
5. सिद्धि विनायक मंदिर, महाराष्ट्र
6. स्वर्ण मंदिर, पंजाब
