भोपाल। क्राइम ब्रान्च को सूचना मिली थी कि एक व्यक्ति दो बैगों में चोरी का सामान बेचने के लिए किसी ग्राहक का इंतजार कर रहा है। उससे जब पूछताछ कि गई, तो उसने गुमराह करने की कोशिश की। उसने अपने सामान के बारे में कोई भी जानकारी ठीक से नहीं बताई, तो पुलिस को चोरी के सामान की शंका हुई ।
जब इस व्यक्ति से गहन पूछताछ की गई, तो कई चौंकाने वाली जानकारी मिलीं। पकड़े गए व्यक्ति ने अपना नाम प्रमोद उर्फ पिंकू पिता छोटेलाल प्रजापति उम्र 27 साल निवासी जमना कालोनी, अनूपपुर बताया।
ऐसे काम करती है चिप...
आरोपी ने स्वीकार किया गया कि यह चिप पेट्रोल पंप में डीजल-पेट्रोल भरने वाली मशीन में लगाया जाती है। सबसे पहले साफ्टवेयर सर्किट में इन्स्टाल किया जाता है। साफ्टवेयर इन्स्टाल करने के दौरान साफ्टवेयर में कितना प्रतिशत डीजल पेटोल कम देना है, यह तय किया जाता है। इसके बाद उस सर्किट को डीजल-पेट्रोल देने वाली मशीन के डिस्प्ले यूनिट में इन्स्टाल कर दिया जाता है। इसके बाद मशीन उतना ही पेट्रोल-डीजल देती है, जितना कि साफ्टवेयर में तय किया जाता है, परंतु ग्राहक को मात्रा पूरी दिखाई देती है।
समूचे मध्य प्रदेश में फैला है जाल...
पूछताछ में प्रमोद ने बताया गया कि उसके द्वारा अपनी गाडी़ महिन्द्रा एक्सयूव्ही में अपने डाइवर के साथ पूरे प्रदेश भर के कई शहरों के पेट्रोल पंपों में यह साफ्टवेयर इन्स्टाल किया है। पेटोल पंप मालिकों से मोबाइल से संपर्क करने के बाद यह साफ्टवेयर प्रमोद अपने ड्राइवर के साथ पेट्रोल पंप में जाकर इन्स्टाल करता है, इसके लिए यह 10 से 50 हजार रुपए लेता है।
पुलिस ने ऐसे पकड़ा...
अकोदिया जिला शाजापुर के शांति प्रतीक फिलिंग सेंटर पर प्रमोद प्रजापति के बताए अनुसार छापामार कर पुलिस ने पेट्रोल कम बेचने वाले उपकरणों को जप्त किया है। पेटोल पंप कर्मचारियों से पूछताछ करने पर बताया गया कि यह पेट्रोल पंप किसी शांति मिंज को आवंटित है, परंतु उन्होंने कभी मूल मालिक को नहीं देखा है। पेटोल पंप का संचालन विजय सक्सेना नाम के व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है, जो कि कुरावर में भारतीय स्टेट बैंक में कार्यरत है। जब विजय सक्सेना से पेट्रोल पंप आने के लिए कहा गया, तो उसने बताया गया कि वह भोपाल में है और अकोदिया पहुंच रहा है, परंतु बाद में उसने मोबाइल बंद कर लिया।
ऐसे सीखी थी आरोपी ने तकनीक
प्रमोद प्रजापति ने बताया गया कि वह अनूपपुर का रहने वाला है। यह तकनीकी उसने एलएंडटी कंपनी और गिलवारको कंपनी में सीखी थी। इन कंपनियों में प्रमोद पेट्रोल पंप की मशीनों की सर्विस और रिपेयर का काम करता था और इस काम में इसको महारथ हासिल हो गई। सात माह की नौकरी करने के बाद आठ माह पहले अपने ऐशो-आराम की जिंदगी और फिजूल खर्चे के लिए अधिक पैसा कमाने की खातिर नौकरी छोड़कर इस फर्जीवाडे़ से जुड़ गया।
इसकी मुलाकात मुकेश नामक व्यक्ति से इंदौर में हुई जब यह बीकाॅम की पढा़ई कर रहा था। बाद में मुकेश ने इसको बताया कि वह पेट्रोल पंपो में गड़बड़ी करने वाला साफ्टवेयर बेचता है और इससे उसने लाखों रुपए कमाये हैं।
साफ्टवेयर की कीमत 5-10 लाख रुपए
बताया जाता है कि इस साफ्टवेयर की कीमत 5 से 10 लाख रुपए के बीच है। चूंकि प्रमोद प्रजापति मात्र एक लाख रुपए में खरीदना बता रहा है।