भोपाल। पिछले 15 दिन से धरने पर बैठे अतिथि शिक्षकों का सब्र टूटता जा रहा है। सीएम शिवराज सिंह चौहान को उनका वचन याद दिलाने आए अतिथि शिक्षकों ने अब विनम्रता त्याग देने का मन बना लिया है। आज प्रदेश अध्यक्ष ने ऐलान किया कि यदि हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो हम पूरी राजधानी को जाम कर देंगे। हम यदि वोट डालते समय एकजुट हो सकते हैं तो अपना अधिकार मांगते समय भी संख्या की शक्ति दिखा देंगे।
नियमितिकरण की मांग को लेकर प्रदेश भर से आये अतिथि शिक्षकों ने टी.टी. नगर दशहरा मैदान में 15 वें दिन भी आदोलन जारी रखा। नियमितिकरण की मांग को लेकर अतिथि शिक्षक 28 मार्च 2015 से टी.टी. नगर दशहरा मैदान में अनिश्चितकालीन धरना पर बैठै हुये है।
अतिथि शिक्षकों ने बताया कि विधानसभा चुनाव के दौरान अतिथियों का जीवन स्तर सुधारने के लिए मुख्यमंत्री ने स्वयं विभागीय परीक्षा आयोजित करने की घोषणा की थी लेकिन अब स्वयं को जनता का हितेषी बताने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री जी अपनी घोषणा से पीछे हट रहै है।
- संबंधित समाचार
- अतिथि शिक्षकों ने किया स्कूली कार्यों का बहिष्कार
- http://bit.ly/1EmDIhs
- अतिथि शिक्षक: 14वां दिन भी बीत गया, सरकार ने सुध नहीं ली
- http://bit.ly/1GWm58r
- व्यापमं घोटाला: हमारा न्याय तो अब भी अधूरा है
- http://bit.ly/1O2jKsT
प्रांतीय अध्यक्ष मनोज मिश्रा और प्रदेश कार्यकारिणी अध्यक्ष जगदीश शास्त्री ने सरकार को चेताया कि अब तक अतिथि शिक्षक भाजपा का कैडर होने के नाते अपने द्वारा ही चुनी सरकार से हम लोग अपना अधिकार माँग रहे है यदि सरकार अपने वचन, माँगों को स्वीकार नही करती है तो अतिथि शिक्षक पूरे प्रदेश के डेढ़ लाख अतिथियों के साथ भोपाल विधानसभा का घेराव व पूरे भोपाल की सड़को पर जाम लगा देगें|
उन्होने सवाल उठाया कि हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री का कहना है की गुरूजीयोँ व अनुदेशको ने मप्र को नम्बर एक राज्य बनाने मे महत्वपूर्ण योगदान दिया है इसलिए उनकी दो बार विभागीय परीक्षा ली गई और इसके बाद भी फेल गुरूजीयोँ को संविदा शिक्षक बनाया गया,तो अतिथि शिक्षकोँ ने प्रदेश की चरमराती हुई शिक्षा व्यवस्था को 8 साल तक संभाल कर क्या गुनाह किया जो उन्हे षङयन्त्र रूपी बोनस अंक दिये जा रहे हैँ ? धरने पर बैठै अतिथि शिक्षको ने बताया कि दिल्ली राजस्थान उत्तर प्रदेश सरकार अतिथि शिक्षको को नियमित कर चुकी है अन्य राज्यो की तरह ही म.प्र. सरकार अतिथि शिक्षको को नियमित क्यो नही करती।
