राकेश दुबे@प्रतिदिन। यह सही है की प्रकृति के परिवर्तन का ठीक अंदाज लगाना मुश्किल है फिर भी हम अनेक बार विज्ञान का सहारा लेकर कुछ कह देते है| रोज़ ऐसा करने और कहने वालों में भारत रकार का मौसम विज्ञान विभाग भी है| विभाग को मानसून पर दोहरी मार पड़ने की आशंका है।
उत्तर भारत में लगातार बेमौसमी बारिश और उधर प्रशांत महासागर में समुद्र के गरमाने से मानसूनी बारिश सामान्य से कम हो सकती है। प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से आधा डिग्री ज्यादा हो चुका है तथा इसमें लगातार बढ़ोत्तरी का रुझान है।
अलनीनो का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्र की सतह के तापमान में आधा डिग्री की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। यदि यह और बढ़ता तो फिर अलनीनो बनना तय है। अलनीनो की आशंका पिछली बार भी जताई गई थी लेकिन पिछली बार सुमद्र का तापमान आधा डिग्री बढ़ते-बढ़ते सितंबर निकल गया था और इसका प्रभाव मानसून पर नहीं पड़ा था। पिछली बार बारिश कम हुई थी लेकिन अलनीनो उसका कारण नहीं था। अलनीनो बनता भी तो यह जरूरी नहीं है कि बारिश कम होगी ही।
पूर्व के उदाहरण बताते हैं कि अलनीनो के कारण बारिश कम होने की आशंका 66 प्रतिशत और सामान्य होने की संभावना 44 प्रतिशत है। लेकिन खतरा सिर्फ अलनीनो का ही नहीं है। इस बार उत्तर भारत से लेकर मध्य भारत भारत तक में लगातार हो रही बारिश के कारण गर्मी नहीं पडम् रही है। मानसून के बेहतर प्रवाह के लिए भारतीय प्रायद्वीप का गरम होना जरूरी है। मार्च-अप्रैल में ज्यादा बारिश के कारण तापमान में कमी से मानसून के प्रभावित होने की आशंका करीब 42 प्रतिशत है। खासकर उत्तरी और मध्य राज्यों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।
यूँ तो मौसम विभाग 22 अप्रैल को मानसून का दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी करेगा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रोपिकल मीटरोलॉजी के वैज्ञानिकों की टीम भविष्यवाणी को अंतिम रूप देने में जुटी है। हाल में बेमौसम बारिश से हुई भारी क्षति के चलते किसानों की ही नहीं बल्कि नीति निर्माताओं की नजर भी मानसून पर टिकी है। आशंका है कि इस साल भी मानसून पिछले साल की भांति सामान्य से कम हो सकता है।
अभी एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है जिसके कारण गुजरात, मध्य प्रदेश तक बारिश हुई है क्योंकि टर्फ लाइन अरब सागर में दूर तक जा रही है। लेकिन आगे भी बारिश की संभावना है। 15-16 अप्रैल को फिर से एक पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना है। लगातार पश्चिम विक्षोभ की सक्रियता से बार-बार बारिश हो रही है। मार्च में बारिश का रिकार्ड टूटने के बाद अप्रैल बारिशमय हो रहा है।
प्रशांत महासागर में दक्षिण अमेरिका तथा पेरू के निकटवर्ती इलाकों में विषुवत रेखा के ईर्द-गिर्द जब समुद्र की सतह अचानक गर्म होनी शुरू होती है तो अल नीनो प्रभाव होते हैं। इस गर्मी से ट्रेड विंड कमजोर पड़ती हैं जो मानसूनी हवा के रूप में भारत की ओर पहुंचती हैं। यदि समुद्र के तापमान में यह बढ़ोत्तरी 0.5 डिग्री से 2.5 डिग्री के बीच हो तो इसका असर भारत के मानसून पर पड़ता है। यह विज्ञान है प्रकृति की वह ही जाने|
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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