कर्मचारियों पर करम, किसानों पर सितम

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भू-अधिग्रहण और किसानों की खुदकुशी के बीच मोदी सरकार ने कल किसान हितैषी फैसलों की झड़ी लगाकर अपने राजनीतिक नुकसान की भरपाई करने की भरपूर कोशिश की है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार ने देश में फसलों को हुए नुकसान का आकलन 113  लाख हैक्टेयर से घटाकर 85 लाख हैक्टेयर कर दिया है। 


इस तरह करीब 20 प्रतिशत क्षेत्र को राहत सहायता के दायरे के पहले ही बाहर कर दिया गया है। इसके अलावा जिन किसानों की 33 प्रतिशत से कम खेती को नुकसान हुआ है, उनके लिए कोई राहत क्‍यों नहीं है। क्‍या बीमा कंपनियां भी 50 प्रतिशत के बजाय 33 प्रतिशत के नुकसान को आधार बनाकर मुआवजा देंगी, इस मामले में स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं है।सरकार ने मुआवजा की राशि में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है लेकिन मुआवजे की यह व्‍यवस्‍था सिर्फ दो हैक्टेयर तक सीमित कर दी गई है। यानी ज्‍यादा खेती बरबाद हुई है तो भी मुआवजा सिर्फ 2 हेक्‍टेअर तक ही मिलेगा।

मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहां वर्षा आधारित खेती काफी ज्यादा है वहां किसानों के पास जमीन अधिक है। ऐसे किसानों को अधिक नुकसान की मार खुद ही झेलनी होगी। केंद सरकार ने अपने ऊपर ज्‍यादा वित्तीय बोझ बढ़ाए वाहवाही लूटने की खूब कोशिश की है। बैंकों से कहा गया है कि वह रबी सीजन के फसल कर्जों की रिस्ट्रक्चरिंग करे। इसका आदेश भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुरान राजन ने भी दे दिया। लेकिन पहले से नुकसान झेल रहे किसानों के लिए कर्ज माफी तो दूर इस कर्ज पर ब्याज माफी का भी कदम नहीं उठाया गया है। वहीं ब्याज पर मिलने वालू छूट (इंटरेस्ट सबवेंशन) पर भी अभी स्थिति साफ नहीं है।सरकार ने बारिश से बुरी तरह प्रभावित गेहूं की सरकारी खरीद के लिए सिकुड़े दाने और कटे दाने की सीमा बढ़ाई है लेकिन गेहूं में नमी की सीमा को बरकार रखा है। जबकि बारिश के चलते गेहूं का भीगना भी किसानों के लिए बड़ी दिक्कत है।

किसानों के लिए सरकार का राहत का फैसला आने के एक दिन पहले ही वह सरकारी कर्मचारियों पर 7889 करोड रुपये खर्च करने का फैसले ले चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि डीए और डीआर की बढी किस्त के लिए 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 55 लाख पेंशनरों को जनवरी, 2015 से फरवरी, 2016 के लिए यह राशि दी जाएगी। वहीं अगर किसानों को मिलने वाली राहत का आकलन करें तो यह किसी भी सीमा में 5000 करोड़ रुपये क पार करने वाली नहीं है। कुल नुकसान वाली फसल पर वर्षा सिंचित और दो हैक्टेयर की अधिकतम सीमा के चलते सरकार पर करीब लाख हैक्टेयर के लिए मुआवजा देने का जिम्मा आएगी वहीं मुआवजे का औसत भी 10 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर तक आ जाएगा। ऐसे में किसानों को मिलने वाली राहत 5000 करोड़ रुपये अधिक नहीं होगी। जो सरकारी कर्मचारियों को दी जा रही महंगाई राहत से करीब तीन हजार करोड़ रुपये कम है। केंद्र द्वारा एसडजीआरएफ से ज्याद खर्च होने पर अधिक राशि देने का वादा भी कोरी बयानबाजी ही साबित होने वाला है।

लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com


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