नई दिल्ली। हालांकि मीडिया में इसे राहुल गांधी की लीडरशिप पर सवाल बताया जा रहा है परंतु दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अपना ओपीनियन शेयर किया है कि वो सोनिया गांधी के साथ ज्यादा कंफर्टेबल फील करतीं हैं। राहुल गांधी के साथ क्या होगा यह भविष्य ही बताएगा।
शीला दीक्षित ने कहा कि पार्टी सोनिया जी के उपर बहुत निर्भर करती है। उनकी छत्रछाया में पार्टी सफलता पूर्वक अपने लक्ष्य को पाने में कामयाब होगी। राहुल गांधी पर बयान देने से बचने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा कि 'मैं यह नहीं कह सकती कि क्या होगा और क्या नहीं होगा। वह सफल होंगे'! शीला ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि हमारे पास सोनिया गांधी जैसी मजबूत और सफल नेतृत्व है।
दीक्षित ने कहा कि उनकी अगुवाई में उन्हें सुविधाजनक स्थिति लगती है। दीक्षित ने कहा कि राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता को अभी भी परखा नहीं गया है। मैं विश्वास के साथ कह सकती हूं कि ये कहीं बेहतर होगा कि सोनिया पार्टी की अगुवाई करें। सोनिया के नेतृत्व को लेकर शायद ही किसी के मन में कोई संदेह हो। उन्होंने राहुल के मसले पर कहा कि अभी भी जहन में कई सवाल हैं क्योंकि अभी भी उनका प्रदर्शन अपेक्षित नहीं है।
शीला दीक्षित का यह बयान ऐसे मौके पर आया है, जब राहुल गांधी को सोनिया गांधी की जगह अध्यक्ष बनाने की लेकर अलग अलग राय सामने आ रही हैं। इससे पहले भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरिंदर सिंह और शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित भी राहुल गांधी को लेकर अपनी असहमति व्यक्त कर चुके हैं।
संदीप दीक्षित ने अपने बयान में कहा था कि पार्टी में 99 फीसदी लोग सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कहा था कि पार्टी को ऐसे वक्त में उनकी ज्यादा जरूरत है। इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि सोनिया गांधी को ही पार्टी अध्यक्ष के रूप में रहना चाहिए। चाकू के बल पर पार्टी में परिवर्तन नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह उनके नेतृत्व में खुश हैं। उन्होंने पार्टी के लिए बहुत किया है। उन्होंने पीएम का पद कभी स्वीकार नहीं किया और पार्टी को दो बार आम चुनाव में जीत दिलाई। वह विश्वसनीय नेता हैं जिनके उपर पार्टी पूरी तरह से निर्भर करती है। राहुल के नेतृत्व में अभी वह विश्वास आना बाकी है।
दूसरी तरफ सोनिया गांधी के नेतृत्व छोड़ने के सवाल पर शीला दीक्षित ने कहा कि 'ये उनका अपना फैसला होगा '. उन्होंने कहा कि 'वह उनमें से नहीं हैं जो अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटें। दीक्षित ने कहा कि जब कांग्रेस को पुनर्जीवन और विचाराधारा की जरूरत है तो ऐसे वक्त में वह हमेशा मौजूद रहेंगी'।
