भोपाल। 'अवैध उत्खनन अकेले ग्वालियर-चंबल संभाग ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र बुधनी में भी हो रहा है। अवैध उत्खनन रोकने में प्रदेश सरकार पूरी तरह असफल रही है। एसएफ की कंपनी भी मुरैना में तैनात की गई थी लेकिन उसे भी हटा लिया गया।"
ये आरोप पूर्व केन्द्रीय मंत्री और गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लगाए। मंगलवार को गुना रवाना होने से पहले भोपाल में वह पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मुरैना में डम्पर से पुलिसकर्मी की हत्या दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार ने एसआईटी जरूर बना दी है पर इससे क्या होगा। पहले से प्रदेश में कई एसआईटी गठित हैं उनके परिणाम क्या रहे, इसका आकलन होना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में कहीं न कहीं खनिज माफियों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है। यही वजह है कि बरसों से प्रतिबंध होने के बावजूद मुरैना में धड़ल्ले से रेत उत्खनन हो रहा है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी सरकार और प्रशासन को नहीं है पर सरकार की मंशा इसकी रोकथाम करने की नहीं है, वरना आईपीएस नरेन्द्र कुमार की हत्या के बाद पुलिसकर्मी धर्मेंद्र चौहान की हत्या नहीं होती।
सिंधिया ने किसानों को राहत नहीं दिए जाने के मुद्दे पर भी सरकार को घेरते हुए पूछा कि अब धरना क्यों नहीं दिया जा रहा है। किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं पर कहा कि मुख्यमंत्री जिस खेत में गए, उसके किसान ने आत्महत्या कर ली। बोनस देना बंद कर दिया। खाद-बीज मिल नहीं रहा और अब फसल की बर्बादी पर राहत और मुआवजा तक नहीं बांटा जा रहा है। फसल बीमा के करोड़ों रुपए बीमा कंपनी ने नहीं दिए।
जब यूपीए सरकार थी तो मुख्यमंत्री हर चीज के लिए धरने पर बैठ जाते थे, अब चुप क्यों हैं। लोकसभा में 27 सांसद हैं, लेकिन इस मुद्दे पर मौन साधकर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसानों की लड़ाई लड़ रही है। भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ लगातार अभियान चल रहा है। 19 अप्रैल को दिल्ली में बड़ी रैली करने जा रहे हैं।
सांसदों का मार्च निकाला और संसद के दोनों सदनों में जोरदार विरोध दर्ज कराया। प्रदेश कांग्रेस को लेकर सिंधिया ने कहा कि अध्यक्ष अरुण यादव सशक्त हैं। हम सब उनके पीछे खड़े हैं। जहां जरूरत होती है या जिम्मा दिया जाता है उसे पूरा करते हैं।