मां नहीं पापा के पास रहेगी 4 साल की बेटी: न्यायालय का फैसला

आशीष देवांग/इंदौर। चार साल की बेटी को प्यार और शिक्षा नहीं मिलने पर कुटुंब न्यायालय ने पिता के हक में निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि बच्ची की परवरिश अब पिता करेंगे। वे ही बच्ची का भरण-पोषण, शिक्षा-दीक्षा, चिकित्सा जैसी सभी व्यवस्था करेंगे।

बच्ची के बीमार होने या उसकी स्कूल में छुट्टी होने पर मां उससे मुलाकात कर सकती है। कुछ समय के लिए उसे अपने साथ भी रख सकती है, लेकिन इससे बच्ची की पढ़ाई में व्यवधान नहीं होना चाहिए। फैसला न्यायाधीश आरपी वर्मा ने सुनाया। गौरतलब है कि 95 प्रतिशत मामलों में बच्चे मां के संरक्षण में जाते हैं।

गंगाबाई जोशी नगर निवासी राजेश राठौर (32) ने बेटी अंशिता को अपने पास रखने के लिए पत्नी सोनिया राठौर (29) के खिलाफ परिवाद दायर किया था। परिवाद 19 दिसंबर 2013 को वकील जेएस ठाकुर व एमएम मिश्रा के माध्यम से पेश किया था।

इसमें कहा गया था कि राजेश और सोनिया का विवाह 24 नवंबर 2008 को हुआ। कुछ दिनों बाद ही सोनिया विवाद करने लगी। वह चाहती थी कि राजेश माता-पिता से अलग रहे। सास-ससुर का मकान बेचने के साथ सोनिया अपने नाम पर नया मकान चाहती थी।

इसी बीच बेटी का जन्म हुआ तो वह उस पर गुस्सा उतारने लगी। वह उसे दूध भी नहीं पिलाती थी। पत्नी के व्यवहार से दुखी होकर पति किराए के मकान में सोनिया के साथ रहने लगा, लेकिन उसके व्यवहार में परिवर्तन नहीं आया।

भविष्य अंधकार में लगा तो लगाया परिवाद
परिवाद में कहा गया कि सोनिया 26 दिसंबर 2009 को अपनी बहन की डिलीवरी के बहाने अंशिता को लेकर गई थी। बाद में वह ससुराल नहीं आई। उसने बताया था कि वह बच्ची के साथ बस्ती ग्राम मधुमिलन पर रहती है। बाद में पता चला कि उसने बच्ची को मायके में छोड़ दिया है।

माता-पिता का प्रेम नहीं मिलने और भविष्य अंधकारमय होने के चलते सोनिया के खिलाफ परिवाद दायर किया। सोनिया ने 23 मार्च 2010 को महिला थाने में रिपोर्ट लिखाकर कोर्ट में भरण-पोषण का केस लगाया। बाद में राजीनामा कर लिया था।

सूचना का अधिकार में पता चला बच्ची नहीं है मां के साथ
सोनिया आश्रम 'बां के घर" रहती थी। पति ने सूचना का अधिकार में जानकारी मांगी तो आश्रम से जवाब मिला कि उसे अस्थाई प्रवेश दिया था। बच्ची उसके नाना-नानी के पास है। बाद में सोनिया ने तीन संस्थाएं बदली, लेकिन एक भी जगह बच्ची को साथ नहीं रखा।
जब राजेश ने बच्ची को उसके नाना-नानी से मांगा तो विवाद हो गया। इस पर 61 वर्षीय नाना विक्रमादित्य सोलंकी और 55 वर्षीय नानी भागवंति सोलंकी को भी पक्षकार बनाया गया।

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