भोपाल। मालवा एक्सप्रेस के एस-7 कोच में बदमाशों की करतूत की शिकार हुई रति त्रिपाठी के पिता महेंद्रनाथ रेलवे बोर्ड पर करीब एक करोड़ रुपए हर्जाने का केस करने जा रहे हैं। उन्होंने इसके लिए जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी कर ली है। संभव है कि वे इसी हफ्ते स्टेट कंज्यूमर कमीशन में केस दायर कर दें। उनका कहना है कि वारदात के दिन रति टिकट लेकर सफर कर रही थी। रेलवे बोर्ड हर टिकट की राशि में दो फीसदी सुरक्षा के नाम पर वसूलता है।
महेंद्रनाथ के वकील प्रियनाथ पाठक ने बताया कि रति को चलती ट्रेन से धक्का देने वाले बदमाशों को अवैध रूप से कोच में एंट्री मिली थी। घटना के बाद यात्रियों ने ट्रेन में मौजूद गार्ड को रति को धक्का दिए जाने की सूचना दी गई, लेकिन ट्रेन नहीं रोकी गई। रति को समय रहते इलाज मिल जाता तो शायद उसकी हालत इतनी खराब नहीं होती।
रेलवे बोर्ड ने सफर के लिए टिकट के रूप में एकमुश्त राशि वसूली है, इसलिए हर यात्री रेलवे बोर्ड का उपभोक्ता हुआ। रति के मामले में सेवा शुल्क वसूलने के बाद भी रेलवे बोर्ड उसे सुरक्षा मुहैया नहीं करवा सका। कंज्यूमर कमीशन ने इस आवेदन को मंजूर कर लिया तो यह प्रदेश में अब तक के सबसे बड़े हर्जाने का केस होगा। कमीशन के सूत्रों के मुताबिक इससे पहले अब तक का सबसे ज्यादा 90 लाख के हर्जाने का केस दायर किया गया है।
क्या हुआ था
रति त्रिपाठी दिल्ली से उज्जैन के लिए मालवा एक्सप्रेस के एस-7 कोच में बर्थ नंबर-8 पर सफर कर रही थी। 19 नवंबर बुधवार की सुबह करीब 5 बजे बीना के पहले करोंदा स्टेशन के पास बदमाशों ने उसका पर्स झपट लिया था। लूटपाट का विरोध करने पर लुटेरों ने रति को चलती ट्रेन से फेंक दिया था। इसके बाद आरोपी फरार हो गए।
35 हजार की नौकरी छूटी, इलाज में खर्च हुए 15 लाख
प्रियनाथ के मुताबिक रति के इलाज में अब तक 15 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। डॉक्टरों ने रति की मेडिकल रिपोर्ट में लिखा है कि उसे मानसिक रूप से ठीक होने में अभी और वक्त लगेगा। इस बीच रति को 35 हजार रुपए महीने की नौकरी भी छोड़नी पड़ गई। इसलिए 86 लाख 40 हजार रुपए मुआवजा और कानूनी प्रक्रिया में आने वाला दस लाख का अनुमानित खर्चा दिया जाए।
दो महीने बाद गिरफ्तार हुए थे आरोपी
18 नवंबर 2014 की सुबह मालवा एक्सप्रेस के एस-7 कोच से बदमाशों ने कानपुर निवासी रति को धक्का दे दिया था। वह नई दिल्ली से उज्जैन जा रही थी। वह करोंदा स्टेशन के पास गंभीर हालत में जीआरपी को मिली थी। जीआरपी ने दो जनवरी 2015 को इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनमें चंदन सिंह लोधी, छोटेलाल गड़रिया, गुलाब सिंह, जाहर सिंह, ओंकार सिंह उर्फ भज्जू और देव सिंह लोधी शामिल थे।
रेलवे की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा मेरा परिवार
महेंद्र नाथ के मुताबिक घटना के पांच महीने बाद भी रति बगैर सहारे के चल नहीं पाती। बच्चों की तरह बात करती है। रेलवे की लापरवाही के कारण बदमाश वारदात को अंजाम देने में कामयाब रहे। इसका खामियाजा मेरे पूरे परिवार को भुगतना पड़ रहा है। इसलिए हम रेलवे बोर्ड पर हर्जाने का केस कर रहे हैं, ताकि यात्रियों की सुरक्षा पर भी बोर्ड का ध्यान जाए।
चोरी पर भी देना होगा हर्जाना : सुप्रीम कोर्ट
रेलवे के रिजर्व कोच में किसी भी अनधिकृत व्यक्ति का प्रवेश रोकना संबंधित टीटीई की जिम्मेदारी बनती है। वह इसमें नाकाम हो रहा है तो रेलवे, सेवा में खामी का जिम्मेदार है। इसलिए रेलवे को ही चोरी या अन्य किसी वारदात के मामले में हर्जाना देना होगा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच न्यायमूर्ति चंद्रमौलि कुमार प्रसाद और पिनाकी चंद घोष ने इस संबंध में आदेश दिए हैं।
ऐसे में आप भी हर्जाने के हकदार
- यात्रा के दौरान सामान चोरी हो जाए।
- छेड़छाड़ या लूट की वारदात हो।
- कोच की सीट फटी या टूटी हो, खिड़की जाम हो। {पंखा/लाइट खराब हो।
- ट्रेन में मिलने वाले खाने में कमी हो या कोच में गंदगी हो
जिला उपभोक्ता फोरम भोपाल के सदस्य सुनील श्रीवास्तव के मुताबिक ये चीजें उपभोक्ता सेवा के दायरे में हैं। इन मामलों में उपभोक्ता फोरम में शिकायत की जा सकती है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि यात्री एसी कोच या स्लीपर कोच में यात्रा कर रहा हो।
अफसर भी बोले- फैसला सही
अनधिकृत व्यक्ति रिजर्वेशन कोच में घूमते हैं और मौका मिलते ही किसी न किसी घटना का अंजाम दे देते हैं। रति त्रिपाठी के साथ हुई घटना भी इसी का परिणाम है। उनके परिवार का फैसला सही है।''
मैथिलीशरण गुप्त, स्पेशल डीजी रेल
