सागर। स्वास्थ्य विभाग में हुई खरीदी अौर भर्ती मामलों को लेकर आरोपों से घिरे सीएमएचओ डॉ. ओपी गौतम की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक ओर छतरपुर पुलिस डॉ. गौतम की गिरफ्तारी का तानाबाना बुन रही है। दूसरी ओर दमोह में भी उनका विरोध तेज होता जा रहा है। मंगलवार को लगातार दूसरे दिन सीएमएचओ के खिलाफ कलेक्टर को ज्ञापन देकर उनके कार्यकाल में हुई खरीदी, भर्ती और अन्य अनियमितताओं की फाइल सौंपी गई है। इसी बीच सीएमएचओ डॉ. गौतम अपने ऊपर लटक रही गिरफ्तारी की तलवार देखकर अभी भी भूमिगत बने हुए हैं।
युवा जागरूक संगठन के सदस्यों ने मंगलवार को कलेक्टोरेट जाकर कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह से सीएमएचओ डॉ. ओपी गौतम द्वारा खरीदी में की गई अनियमितताओं को लेकर जांच की मांग की है। इस संबंध में संगठन के संयोजक रीतेश सोनी ने कलेक्टर को बताया कि डॉ. गौतम द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान खरीदी में जो धांधली की गई है उसकी जांच के लिए कमिश्नर सागर ने 17 जून 2014 को एक आदेश जारी कर छतरपुर सीएमएचओ को जांच अधिकारी नियुक्त किया था लेकिन अभी तक कमिश्नर के आदेशों की अवहेलना करते हुए इस जांच में विलंब किया जा रहा है।
ज्ञापन में कहा गया है कि न्यायालय में प्रकरण लंबित होने एवं जमानत याचिका खारिज होने पर तत्काल ही मप्र शासन को नियमानुसार सीएमएचओ को निलंबित करने का अधिकार है। मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 9 के अनुसार शासकीय सेवक की भ्रष्टाचार या अन्य नैतिक पतन में दांडिक अपराध में चालान प्रस्तुत होने पर सदैव निलंबित किए जाने का प्रावधान है। लेकिन डॉ. गौतम को नहीं हटाया गया है।
पंकज जड़िया ने कहा कि वर्तमान में सीएमएचओ के खिलाफ अनेक जांचे लंबित हैं और पद पर बने रहते हुए सीएमएचओ उक्त जांचों को प्रभावित कर रहे हैं। अतः इन्हें तत्काल पद से हटाया जाए ताकि निष्पक्ष एवं निर्भीक जांच हो सके।
- इन बिंदुओं पर की गई जांच की मांग
- दमोह में 45 लाख रुपए की मदर चाइल्ड किट बिना मांग पत्र के मप्र मृगनयनी से क्रय किए गए, जबकि उक्त सामग्री मृगनयनी के अधिकार क्षेत्र से बाहर की है। जबकि मृगनयनी केवल 50 हजार तक की खरीदी के लिए अधिकृत है।
- शासन द्वारा प्रतिबंधित संस्थाओं जैसे भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता संघ मर्यादित जबलपुर से 20-12-2013 एवं 23-12-2013 को लगभग 6 लाख रुपए के क्रय आदेश जारी कर कार्यालय उपयोग में आने वाली सामग्री बाजार भाव से दोगुनी दर पर क्रय में प्रतिबंध होने के बावजूद खरीदी आदेश जारी किए गए।
- वर्ष 2013-14 में डॉ. गौतम द्वारा को-आॅपरेटिव हैंडलूम फेडरेशन लिमिटेड भोपाल एवं राज्य हाथकरघा बुनकर सहकारी समिति मर्यादित से टेबिल क्लॉथ एवं पर्दा क्रय किए गए थे जबकि मप्र शासन के निर्देशानुसार उक्त सामग्री केवल हाथकरघा संघ से ही खरीदी जा सकती है।
- आरसीएच, एनआरएचएम के तहत क्रय की गई बेबी सूट को मात्र एसएनसीयू में ही प्रदाय किया जाना था जिसकी मिशन संचालक द्वारा 135 रुपए प्रत्येक सूट की दर निर्धारित की गई है। जबकि सीएमएचओ द्वारा उक्त बेबी सूट 169 रुपए प्रति नग से मप्र राज्य सहकारी संघ से खरीदे गए हैं। अनधिकृत संस्था से खरीदी कर क्रय अधिनियम 2014 का स्पष्ट उल्लंघन किया गया।