मप्र के सहकारी बैंकों में हवाला

भोपाल। छत्तीसगढ़ में सहकारी बैंकों के माध्यम से हवाला कारोबार का खुलासा हुआ है। आप मप्र में इसकी संभावना से कतई इंकार नहीं कर सकते, क्योंकि दोनों राज्यों का सिस्टम एक समान है। लोग आसानी से सहकारी बैंकों में अपने खाते खोल लेते हैं और फिर लेनदेन करने लगते हैं। राष्ट्रीय या मल्टीनेशनल बैंक की तरह सहकारी बैंकों पर जांच पड़ताल नहीं होती और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर भी सहकारी बैंकों पर कम ही रहती है। आरबीआई को चाहिए कि वो मप्र के सहकारी बैंकों की छानबीन करे। बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं कि एक बड़ा हवाला कारोबार का खुलासा हो। 

क्या था पूरा मामला
दरअसल इनकम टैक्स विभाग ने पाया कि रायपुर जिला सहकारी बैंक के तीन शाखाओं सीओडी ब्रांच (लाल गंगा शॉपिंग माल के सामने वाला)- 6 खाते, दूसरा न्यू मंडी ब्रांच- 5 खाते और रामसागर पारा ब्रांच -10 खाते। कुल मिलकार 21 खाते खोले गए, जिनमें करीब 500 करोड़ का लेन देन हुआ। इनमें 21 प्रमुख खाते हैं जिनमें हवाला का कारोबार हुआ है। क्यूंकि ये खाते किसके हैं सही तरीके से पता ही नहीं चल पाया है। ट्रांजेक्शन में नगदी आता था तो चेक से पैसे निकलता था और अगर चेक से पैसा आता था तो नगदी निकाला जाता था।

इन सारे खातों में लेन देन 20 जुलाई 2007 से लेकर 2011 मई तक हुए। इनमें आरबीआई की गाइड लाइऩ नो योर क्सटमर (केवाईसी) का पालन नहीं हुआ। पेन कार्ड की इंट्री नहीं थी। इन चीजों की शिकायत जब आरबीआई के पास पहुंची तो फिर जांच हुई और शिकायतों को सही पाया गया। खातेदारों के बारे में मालूम करने पर पते फर्जी निकले, लेकिन पैसे का ट्रांजेक्शन पर रोक नहीं लगी। इसके बाद 20 जनवरी 2015 में आरबीआई ने रजिस्टार ऑफ कॉपरेटिव सोसाइटी को आरबीआई ने खत लिखा और सहकारी बैंक के मुख्य अधिकारी डीआर देवांगन, एसके वर्मा सीईओ अनूप अग्रवाल और पूर्व सीईओ एके श्रीवास्तव पर कार्रवाई करने के लिए कहा था जिस पर आखिरकर कलेक्टर के आदेश पर कार्रवाई हुई। कुल मिलाकर 12 अधिकारियों को सस्पेंड किया जा चुका है, और जांच जारी है। मामला फिलहाल पुलिस को नहीं सौंपा गया है।

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