राकेश दुबे@प्रतिदिन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टिना लेगार्डे वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत के ग्रोथ की तस्वीर अच्छी मानती है बशर्ते वह डालर कि उधारी की जोखिम से निपटे । चालू वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृदि़्ध दर 7.2 प्रतिशत रह सकती है। इस वृद्धि दर से भारतीय अर्थव्यवस्था 2016 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था होगी ऐसा क्रिस्टीना लेगार्डे का अनुमान है।
उनका मानना है कि जीएसटी, नीतिगत सुधार, बेहतर होते कारोबारी भरोसे और सब्सिडी में कटौती जैसे बड़े कदमों से भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी। लेगार्डे ने भारत के वर्तमान बजट को सही दिशा में उठाए गए कदम के रूप में देखा है। उन्होंने कहा कि बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर पर व्यय बढ़ाने का प्रावधान एक बेहतर कदम है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की गिरतों के कारण सब्सिडी में कटौती करने में मदद मिलेगी। अमीरों को सब्सिडी की जरूरत नहीं है। लेगार्डे ने कहा कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी धीमी रफ्तार से होगी। वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2015 में 3.5 प्रतिशत रही| भारतीय अर्थव्यवस्था 2009 से 2019 के बीच दोगुनी से अधिक हो जाएगी। हाल के नीतिगत सुधारों से इसे और उछाल मिलेगा । 2019 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद जापान और जर्मनी के संयुक्त घरेलू उत्पाद से पार चला जाएगा ।लेगार्डे के अनुसार डॉलर की बढ़ती उधारी के चलते मजबूत डॉलर भारत के लिए एक बड़ा जोखिम है। भारतीय बैंकों की बैलेंस सीट मजबूत बनाने की जरूरत है। बैंकों में नकदी का प्रवाह बढ़ाने से उनकी स्थिति मजबूत करने में मदद मिल सकती है। महंगाई लक्ष्य को लेकर लचीला रवैया कीमतों में स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा।
क्रिस्टिना लेगार्डे ने कहा कि अमेरिकी मौद्रिक नीतियों को नरमी का असर भारत पर भी पड़ सकता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की रिकवरी में अभी जोखिम बना हुआ है। मौद्रिक नीति की अनिश्चितता ग्लोबल रिकवरी की राह में सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर रिवकरी के अनुरूप मौद्रिक उपाय किए जाने की आवश्यकता है।आईएमएफ प्रमुख लेगार्डे ने कहा कि वैश्विक स्तर पर बेरोजगारी से निपटने के लिए ढांचागत सुधारों की आवश्यकता है। ।
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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