भोपाल। मप्र में आदिवासी समाज को सीधा और सरल समाज माना जाता है, इनका शोषण करना सबसे आसान रहा है। 100 साल पहले भी ये समाज ऐसा ही था आज भी ऐसा ही है लेकिन इनकी पुश्तैनी जमीनों की सुरक्षा के लिए बनाया गया कानून अब बदलने वाला है। इनकी जमीनों की बिक्री पर लगी रोक अब हट जाएगी और तमाम बिल्डर्स व कारोबारी आदिवासियों की जमीनें खरीद सकेंगे।
इसे मप्र में निवेश के तौर पर दिखाया जा रहा है और आदिवासियों के लिए विकास का एक मार्ग भी बताया जा रहा है परंतु क्या यह सचमुच आदिवासियों के लिए हितकारी होगा यह तो भविष्य ही बताएगा। फिलहाल राजस्व विभाग ने उक्त प्रस्ताव बनाकर मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा को भेज दिया है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में होने वाली आदिवासी मंत्रणा परिषद की मंजूरी मिलने के बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।
भू-राजस्व संहिता की धारा 165 के अनुसार 23 आदिवासी जिलों में कोई भी गैर आदिवासी उनकी जमीन नहीं खरीद सकता है। इतना ही नहीं इन क्षेत्रों में रहने वाले सामान्य वर्ग का व्यक्ति भी खेती से भिन्न् प्रयोजन वाली जमीन को कलेक्टर की अनुमति के बगैर नहीं बेच सकता है। उसे केवल खेती की जमीन बेचने का अधिकार है। सामान्य वर्ग द्वारा बेची गई खेती की जमीन पर 10 साल तक केवल खेती ही की जा सकती है। इसे अन्य प्रयोजन के लिए डायवर्सन नहीं कराया जा सकता है। इस तरह के कड़े कानून के चलते इन क्षेत्रों में उद्योग नहीं लग पा रहे हैं। यही वजह है कि राज्य सरकार कानून को बदलने जा रही है।
यह है प्रस्ताव में
आदिवासियों के लिए नोटिफाइड एरिया में वे अपनी जमीन गैर आदिवासी को कलेक्टर की अनुमति लेकर बेच सकेंगे। वहीं सामान्य वर्ग के व्यक्ति को अपनी जमीन बेचने के लिए किसी भी प्रकार की कोई अनुमति लेना अनिवार्य नहीं होगी। इसी प्रकार सामान्य व्यक्ति द्वारा बेची गई खेती की जमीन का तत्काल डायवर्सन कराया जा सकेगा।
यह है नोटिफाइड क्षेत्र
झाबुआ,आलीराजपुर, मंडला , डिंडोरी और बड़वानी संपूर्ण जिला।
धार जिले में केवल सरदारपुर, धार, कुक्षी, और मनावर तहसील।
खरगोन जिले में राजपुर, सेंधवा, भीकनगांव, खरगोन और महेश्वर तहसील।
खंडवा जिले में हरसूद तहसील का खालवा ब्लॉक।
बुरहानपुर में खकनार जनजातीय ब्लॉक।
रतलाम में सैलाना तहसील।
बैतूल जिले में बैतूल और भैसदेही तहसील।
सिवनी जिले में लखनादौन और कुरई ।
बालाघाट में बैहर तहसील।
होशंगाबाद जिले में केसला जनजातीय ब्लॉक।
शहडोल जिले में पुष्पराजगढ़, सोहागपुर तहसील और ब्यौहारी तहसील का जयसिंह नगर सामुदायिक विकास खंड।
श्योपुर जिले में कराहल ।
छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा तहसील का हर्रई जनजातीय ब्लाक, सौंसर तहसील के बिछुआ जनजातीय ब्लॉक, पटवारी सर्किल के नंदापुरा, नीलकंठ, ढाड़ीखापा, रामधाना, सिलोरा, जोवनी गांव, तामिया तहसील की जामाई जनजातीय ब्लॉक। पटवारी सर्किल सरीगांव खुर्द, किरवानी गांव, मैनावाड़ी, गौली परसिया और बम्हनी गांव।
मुख्य सचिव को भेज दिया प्रस्ताव
प्रदेश के आदिवासी नोटिफाइड 23 जिलों के क्षेत्र में आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को कलेक्टर की अनुमति से बेचने का प्रस्ताव तैयार कर आदिवासी मंत्रणा परिषद के लिए मुख्य सचिव को भेज दिया है। प्रस्ताव में सामान्य वर्ग पर लगे प्रतिबंध को भी हटाने की बात कही गई है।
अरुण तिवारी
प्रमुख सचिव राजस्व