भोपाल। कल एक और प्रदेश में ओलावृष्टी से किसान हलाकान हो रहे थे वही दूसरी और विधायक एवं अध्यापकों के पूर्व नेता मुरलीधर पाटीदार का गढ़ आजाद अध्यापक संघ ढह रहा था।
कम्पनी गार्डन आगर मालवा में अध्यापकों ने आजाद अध्यापक संघ को खुला समर्थन दिया। यह दिगर बात है कि किसी भी संगठन का उददेश्य अपने क्षेत्र को व्यापक बनाना होता है। लेकिन आजाद को अब तक यह सबसे बड़ी सफलता है कि एक सत्तापक्ष के विधायक के गढ़ में जो कि अध्यापको का कथित नेता होने का भ्रम भी पाले हुए था को वही के अध्यापको ने धराशायी कर दिया। हालाकिं आजाद अध्यापक संघ की और से कोई भी इस पर श्रेय की राजनीति नही कर रहा है प्रांत प्रमुख शिल्पी शिवान ने साफ किया कि अध्यापकों की लड़ाई अभी अधूरी है और बतौर विधायक पूर्व अध्यापक नेता एक लाख रूपये प्रतिमाह वेतन ले रहे है वही अध्यापको को उनका वाजिब हक भी खैरात की तरह किश्तों में दिया जा रहा है। बस इसी का आक्रोश है कि अध्यापक आजाद अध्यापक संघ को अपना समर्थन दे रहे है। आगामी चुनाव के पूर्व पाटीदार के लिए अपनी जमीन खोने का भय सताने लगा है। आगर मालवा की जनता की माने तो भाजपा की लहर का फायदा पाटीदार को मिला था लेकिन अब हालात बदल गए है । जिन अध्यापको के दम पर प्रदेश की राजनीति में अपना लोहा मनवाने का पाटीदार दम भरते थे वह अब आजाद अध्यापक संघ के साथ कदम ताल कर चुके है। एक मार्च के विधान सभा घेराव के अपने कार्यक्रम को विधानसभा स्थगित होने के कारण निरस्त करने के बाद आम अध्यापकों के मन में आजाद की छवी को और मजबुत बना दिया है।
अध्यापको ने इस फैसले का स्वागत कर कहा है कि सत्र स्थगित होने से घेराव की उददेश्य पूर्ति भी नही होती। बहरहाल आगर मालवा में आजाद अध्यापक संघ ने जिस साहस के साथ अपनी धमाकेदार उपस्थिती दर्ज कराकर अपना कारवॉ बढ़ाया है वह प्रदेशभर के अध्यापकों में चर्चा का विषय बन गया है। माना जा रहा है कि प्रसुप्त पड़े कुछ जिलों में भी इसके बाद आन्दोलन की उर्जा का संचार होना तय है।