नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने के लिए धन की जरूरत के आधार पर चुनिंदा सेवाओं पर ही दो प्रतिशत तक स्वच्छ भारत अधिभार लगाया जाएगा।
बजट बाद बैठक के दौरान वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कर विशेषज्ञों के एक समूह से यह बात कही। इस समूह को बताया गया कि जरूरत के आधार पर 0.5 फीसदी से लेकर एक प्रतिशत या 2 फीसदी तक भी अधिभार लगाया जा सकता है। एक सूत्र ने कहा, 'यह अधिभार सिर्फ कुछ चुनिंदा सेवाओं पर ही लगाया जाएगा।'
अशोक माहेश्वरी एंड एसोसिएट्स के भागीदार अमित माहेश्वरी ने कहा, 'हम इस बात से खुश हैं कि यह सभी सेवाओं पर लागू नहीं होगा और यह जरूरत के आधार पर लगने वाला अधिभार होगा। इसका मुद्रास्फीति पर कोई उल्लेखनीय असर नहीं होगा।' अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री अरण जेटली ने जरूरत पडऩे पर हर तरह की या कुछ सेवाओं पर 2 फीसदी या इससे कम अधिभार लगाने का प्रस्ताव किया था।
यह अधिभार अधिसूचना की तारीख से लागू होगा। अभी इसे अधिसूचित किया जाना है। इस अधिभार के जरिये जुटाए गए संसाधनों का उपयोग स्वच्छ भारत पहल के वित्तपोषण और संवर्धन के लिए किया जाएगा। जेटली ने यह भी प्रस्ताव किया कि सेवा कर की दर शिक्षा उपकर को जोडक़र 12 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी की जाए।
बजट में स्वच्छ भारत कोष में योगदान पर 100 फीसदी कर कटौती का प्रस्ताव किया गया है। हालांकि, इसमें कारपोरेट सामाजिक दायित्व खर्च शामिल नहीं होगा। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वच्छ भारत कोष के लिए एक प्रावधान को मंजूरी दी जिसके तहत स्वच्छ भारत मिशन के लिए देश और विदेश में रहने वाले लोग और कंपनियां योगदान कर सकती हैं।