पढ़िए केसे फर्श से अर्श तक पहुंचा जोरू का भाई

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग में मुख्यमंत्री रमन सिंह की पत्नी के रिश्तेदार भाई संजय सिंह के फर्श से अर्श पर पहुंचने की बहुत सारी कहांनियां सुनी जा सकती हैं.

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक  छत्तीसगढ़ सरकार की आधिकारिक फाइलों में संजय सिंह का जिक्र अक्सर ‘मुख्यमंत्री के साले’ के तौर पर होता है. एक फाइल में तो एक अधिकारी ने उनके कामों को ‘मुख्यमंत्री के साले संजय सिंह का नया कारनामा’ के तौर पर दिखाया है.

हाल ही में जब छत्तीसगढ़ सदन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने संजय सिंह को रमन सरकार में मिले फायदों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘जोरू का भाई एक तरफ, सारी खुदाई एक तरफ’ तो विधायकों में ठहाके गूंज उठे.

रमन सिंह दिसंबर 2003 में जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने तो उस समय संजय सिंह पर्यटन विभाग में तीसरे दर्जे के कर्मचारी थे. कुछ साल बाद ही उनका प्रमोशन हो गया. दोनों ही प्रमोशन को बाद में अवैध ठहराया गया. बाद में उनकी प्रतिनियुक्ति परिवहन संयुक्त आयुक्त के तौर पर हुई.

आपको बता दें कि संजय सिंह भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जा चुके हैं और उन पर लगे एक दूसरे आरोप की जांच चल रही है. जांच के बाद 2013 में पर्यटन विभाग ने संजय सिंह को महाप्रबंधक के तौर पर उनके प्रमोशन को रद्द कर दिया और कहा, ‘यह अवैध है, पिछली तारीख से की गई, नियमों को तोड़ा-मरोड़ा गया और एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने की मंशा से की गई.’

संजय सिंह इसके खिलाफ हाई कोर्ट में गए और प्रमोशन रद्द किए जाने के विरुद्ध स्टे ले लिया. संजय सिंह, जो अभी भी महाप्रबंधक के पद पर हैं, कहते हैं, ‘किसी कर्मचारी को पदोन्नत करना सरकार का विशेषाधिकार है.’

पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘यह संभवत: एकमात्र ऐसा मामला है जब तीसरे दर्जे का एक कर्मचारी तीन साल में महाप्रबंधक बन गया.’ पर्यटन विभाग के पूर्व उप महाप्रबंधक एमजी श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संजय सिंह के विरुद्ध जांच हुई. वे साफ कहते हैं, ‘उन्होंने (संजय सिंह ने) मुख्यमंत्री के रिश्तेदार होने के चलते ही कई नाजायज लाभ लिए.’

रिश्वतखोरी के आरोप- अक्टुबर 2012 में केनकर ट्रांसपोर्ट ऑफिस के एक कर्मचारी ने 'मुख्यमंत्री का साला संजय सिंह' की अवैध गतिविधियों के बारे में पर्यटन विभाग के तत्कालीन अधय्क्ष के डी पी राव को एक पत्र लिखा. इस पत्र में यह बताया गया कि जब संजय सिंह पर्यटन विभाग में तैनात थे उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम पर अवैध तरीके से पैसे वसूले थे. यह आरोप लगाया गया कि संजय सिंह कर्मचारियों के तबादले में हेर-फेर के लिए रैकेट चला रहे थे और सरकार के लिए घाटे की वजह बन रहे थे.

अप्रैल 2013 में पर्यटन विभाग की सेक्रेटरी ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को एक पत्र में  उनके कामों को ‘मुख्यमंत्री के साले संजय सिंह का नया कारनामा’ के तौर पर व्यक्त किया. सेक्रेटरी ने इसके खिलाफ एक जांच बिठाने और उसकी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. यह रिपोर्ट आज तक सबमिट नहीं की गई है.

विदेशी दौरे- संजय सिंह पर आरोप हैं कि बिना किसी आधिराकिरक अनुमति के सरकारी खर्चे पर विदेशी दौरा किया है. उन्हें 2006 में शो-केस नोटिस भी दिया गया था और विभाग ने उनके जवाब को 'असंतोषजनक' पाया था. अप्रैल 2006 में सामान्य प्रशासन विभाग ने  संजय सिंह को सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा कि वे भविष्य में बिना अनुमति के विदेश यात्रा ना करें.

जून 2013 में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के एमडी ने लिखा कि संजय सिंह ने बिना अनुमति के कई सारे विदेशी दौरे किए हैं और इसलिए उन्हें 18.72 लाख रूपये जमा करने आवश्यकता है. इसके लिए रिकवरी आदेश भी जारी किया गया  लेकिन संजय सिंह ने अभी तक इसका भुगतान नहीं किया है.

संजय सिंह इस बारे में कहते हैं, 'मैं पर्यटन बोर्ड के साथ विदेश गया था. यह उनकी जिम्मेदारी हैकि वे विदेशी दौरे के लिए अनुमति लें. यदि उन्होंने परमिशन नहीं तो उसका जिम्मेवार मैं कैसे? विभाग ने संजय सिंह के इस तर्क को भी खारिज कर दिया.

If you have any question, do a Google search

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!