मुझे बिना मुकदमा फांसी दे दो: निंदा पर काटजू

नई दिल्ली। महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर अपने बयान के लिए सर्वसम्मति से राज्यसभा में निंदा प्रस्ताव पारित होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि महज निंदा पर्याप्त नहीं है और उन्हें बिना मुकदमे के फांसी की सजा दी जानी चाहिए।

काटजू ने अपने ब्लॉग में कहा है, 'ओह! आश्चर्यजनक खबर। राज्यसभा (भारतीय संसद का उच्च सदन) ने मेरी निंदा में एक प्रस्ताव पारित किया है लेकिन निश्चित तौर पर यह पर्याप्त नहीं है। मुझे उस फर्जी, जिसे राष्ट्रपिता कहा जाता है और जापानी फासिस्टों के एजेंट के बारे में जो मैंने कहा उसके लिए भी अवश्य दंडित किया जाना चाहिए। महज निंदा दंड नहीं है।'

काटजू ने कहा, 'इसलिए उनमें से कुछ मेरा अनुलाभ और सुविधाएं छीन लेना चाहते थे, जो मुझे सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज के तौर पर मिलता है। लेकिन फिर उसके लिए नियमों में संशोधन की आवश्यकता होगी, क्योंकि मैं सुप्रीम कोर्ट का सेवानिवृत्त जज हूं।'

उन्होंने कहा, 'क्या मैं सदन के माननीय सदस्यों को विनम्र सुझाव दे सकता हूं क्योंकि उनमें साफ तौर पर विचारों का अभाव है। उन्हें एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि मेरी भारत वापसी पर मुझे तत्काल गिरफ्तार किया जाए और बिना किसी मुकदमे के फांसी दी जाए। न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।'

इससे पहले दिन में, पार्टी लाइन से हटकर राज्यसभा के सदस्यों ने काटजू की उस टिप्पणी की निंदा की जिसमें महात्मा गांधी को ब्रिटिश एजेंट और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जापानी एजेंट कहा गया था। सभापति हामिद अंसारी द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया।

अपने नए ब्लॉग में आज न्यायमूर्ति काटजू ने इस बात का दावा करने के लिए पंडित नेहरू की आत्मकथा के उद्धरणों का उल्लेख किया कि यह गांधीजी की 'सामंती सोच' का खुलासा करती है और कहा कि क्या वह राष्ट्रपिता कहलाने के हकदार हैं।

शब्दश: पढ़िए क्या लिखा है काटजू ने अपने SATYAM BRUYAT ब्लॉग में

A humble advice to the Rajya Sabha

O wonderful news ! The Rajya Sabha ( the upper House of the Indian Parliament ) has passed a resolution condemning me !
But of course that is not enough. I must also be punished for what I said about that fake who is called the Father of the Indian Nation, and that agent of the Japanese fascists. A mere censure is no punishment.
So some of them wanted to strip me of the perks and facilities I have as a retired Supreme Court Judge. But then again that will require amendment of the rules, because after all I am indeed a retired Supreme Court Judge.
 May I make a humble.suggestion to the Hon'ble Members of the House ( because evidently they have run out of ideas ). Just pass a resolution that immediately on my return to India I will be arrested and hanged, drawn and quartered.without any trial. Na rahe baans na baje baansuri !

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