भर्तीघोटाला: रसायन के विशेषज्ञ को पर्यावरण की नौकरी

भोपाल। मप्र में इन दिनों भर्ती घोटालों के खुलासे का दौर जारी है। यह मामला जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर का है जहां रसायन विषय के विशेषज्ञ को पर्यावरण विषय के लिए नियमविरुद्ध ​नियुक्ति दे दी गई। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह अवैध है और नियुक्ति निरस्त की जानी चाहिए, परंतु यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। 

पढ़िए इस मामले का खुलासा करती यह शिकायत

प्रति संपादक महोदय,
भोपाल समाचार डॉट कॉम

विषय:- जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर द्वारा पर्यावरण विज्ञान अध्ययनशाला में एसोशिएट प्रोफेसर,  पर्यावरण विज्ञान पद पर अयोग्य चयनित शिक्षक की नियुक्ति की जाॅंच एवं निरस्तीकरण हेतु

श्रीमान जी
जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर द्वारा पर्यावरण अध्ययन शाला में एसोशिएट प्रोफेसर पर्यावरण विज्ञान पद पर चयन हेतु विज्ञापन निकाला गया था। (सलंग क्र.1). इसके संदर्भ में प्राप्त आवेदकों की छटनी कर साक्षात्कार के माध्यम से एसोसिएट प्रोफेसर पद पर अपात्र आवेदक का चयन किया गया। जो कि निम्नलिखित नियमो का उल्लंधन करता है। 

1. विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों में शिक्षको एवं अन्य शैंक्षणिक स्टाॅॅॅफ के चयन के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, दिल्ली द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हताओ संबंधी नियमन तथा उच्च शिक्षा के अन्र्तगत मानको के व्यवस्थापन के लिए आवश्यक उपायों पर आयोग द्वारा नियमन 2010  (सलंग क्र. 2) के अनुसार क्योकि:-

आवेदक उसी विषय में नेट या पी.एच.डी होना चाहिये। जिस विषय को  पढ़ाने के लिऐ चयन किया जावे। जबकि चयनित शिक्षक रसायन विज्ञान विषय में स्नातकोतर व पीएच.डी. है और चयन पर्यावरण विज्ञान विषय में किया गया है।

आवेदक को सहायक प्रोफेसर के स्तर के समतुल्य किसी विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों अथवा शोंध संस्थान /उघोग में न्यूनतम 8 वर्ष का शिक्षण या शोध का अनुभव हो जो कि समस्त अनुभव पीएच.डी के लिए किए गए शोध के अतिरिक्त हो तथा 5 प्रकाशित रचनाऐ जो पुस्तको अथवा शोध विषयमगत निति से जुडे प्रपत्रो के समर्थित हो। 

अतः चयनित एसोशिएट प्रोफेसर 8 वर्ष का शिक्षण या शोध का अनुभव नहीं रखता है।

आवेदक को शैक्षणिक नुतन पाठयक्रमो एवं शोध मार्ग दर्शन का अनुभव होना चाहिए। एैसा कोई अनुभव नहीं है।
एसोशिएट प्रोफेसर पद पर चयन हेतु शैक्षणिक निष्पादन सूचकांक ;।च्प्द्ध मंे न्यूनतम प्राप्तांक होना अनिवार्य है। लेकिन शिक्षक के न्यूनतम प्राप्तांक नहीं है।

2. आवेदको में पर्यावरण विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. उपाद्यी वाले अभ्यर्थी थे लेकिन भष्टाचार में लिप्त चयन समिति द्वारा रसायन विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. अभ्यर्थी का चयन किया गया। 

3. जीवाजी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान में स्नातकोत्तर पाठयक्रम तथा रसायन विज्ञान के स्नातकोत्तर पाठयक्रम में 20 प्रतिशत की भी समानता नही है तो फिर रसायन विज्ञान की योग्यता वाला शिक्षक पर्यावरण विज्ञान के स्नातकोत्र के छात्र छात्राओ के भविष्य को अंधकारमय बनायेगा। http://www.jiwaji.edu/syllabus-08-09.asp

4. पर्यावरण विज्ञान विभाग में शैक्षणिक पदो पर अन्य विषयों जैसे जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान तथा रसायन विज्ञान के अभ्यर्थी का चयन नहीं किया जावे आदि की सूचना दी गई। लेकिन भष्टाचार में लिप्त समिति के द्वारा रसायन विज्ञान के अभ्यर्थी का चयन किया गया। (सलंग क्र.3).

5. मध्यप्रदेश के लगभग सभी विश्वविघालय में पर्यावरण विज्ञान में स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. की उपाधी प्रत्येंक वर्ष लगभग 500 छात्र एंव छात्राओं को प्रदान की जाती है तो पर्यावरण विज्ञान के अभ्यर्थी का भविष्य के साथ यह कैसा अन्याय है यदि उनके पद किसी अन्य विषयो के अभ्यर्थीयो से भरा जायेगा तो वर्तमान मे मध्यप्रदेश में लगभग 5000 बेरोजगार भटक रहे है। 

6. पर्यावरण विज्ञान विषय जीव विज्ञान संकाय मे आता है जबकि रसायन विज्ञान अलग से संकाय है 

7. चयन प्रक्रिया में तत्तकालीन उच्च शिक्षा मंत्री का हस्तक्षेप होने के कारण चयन समिति ने निर्भय होकर अपात्र आवेदक का चयन किया गया क्योकि आवेदक का परिवार मंत्री कें संर्पक में था।

अतः उपरोक्त बिदुंओ केा ध्यान में रखते हुऐ एवं पर्यावरण के स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. बेरोजगार अभ्यर्थी को न्याय की अपील की स्वीकारते हुऐ स्पेशल टास्क फोर्स से निवेदन है कि तत्तकालीन उच्च शिक्षा के जीवाजी वि.वि में  चयनित प्रक्रिया हस्तक्षेप कि भी जाच कि जावें । ताकि है कि अतिशीध्र चयनित अयोग्य शिक्षक की नियुक्ति निरस्त की जावे तथा पुनः विज्ञापन कराने की कृपा करे ।

प्रार्थी
पर्यावरण बेरोजगार संघ, मध्यप्रदेश
8  न्यू दर्पण कालोनी, ग्वालियर , मध्यप्रदेश

शिकायतकर्ता ने इस प्रकरण से संबंधित दस्तावेज भी संलग्न किए हैं जो भोपाल समाचार के पास सुरक्षित हैंं 

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