भारत में महिलाओं को मजदूरी मिली, मालिकाना हक नहीं

एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति 16 एशिया प्रशांत देशों में सबसे नीचे है और यहां तक कि यह बांग्लादेश और श्रीलंका से भी कम है जिससे संकेत मिलता है कि लैंगिक समानता हासिल करने के लिए देश में काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। 

मास्टर कार्ड के एक ताजा महिला तरक्की सूचकांक के मुताबिक एशिया प्रशांत क्षेत्र में लैंगिक समानता की ओर प्रगति अभी तक मंद है। यह सूचकांक क्षेत्र में महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति की माप करता है। सर्वेक्षण में कहा गया है, एशिया प्रशांत क्षेत्र में शिक्षित महिलाओं की संख्या अपने पुरुष समकक्षों से बढ़ती जा रही है, पर लैंगिक समानता की ओर खासतौर पर व्यवसाय नेतृत्व, व्यवसाय के मालिकाना हक और राजनीतिक भागीदारी के क्षेत्रों में प्रगति अभी भी सुस्त है। 

क्षेत्र में न्यूजीलैंड (77 अंक) सबसे शीर्ष पायदान पर है जिसके बाद क्रमश: आस्ट्रेलिया, फिलीपीन और सिंगापुर का स्थान है। वहीं, दूसरी ओर भारत (44.2) श्रीलंका (46.2) से भी नीचे है जिसके ऊपर बांग्लादेश (44.6) का स्थान है। इससे संकेत मिलता है कि लैंगिक समानता के लिए काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। 100 से नीचे का स्कोर लैंगिक समानता को पुरुष के पक्ष में बताता है, जबकि 100 से अधिक स्कोर महिलाओं के पक्ष में बताता है। 

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