इनका गुनाह है कि ये मप्र में पैदा हुए

भोपाल। कन्यादान योजना के तहत जब किसी निर्धन कन्या के हाथ पीले होते हैं या तीर्थयात्रा योजना के तहत जब किसी निर्धन वृद्ध को तीर्थदर्शन का अवसर मिलता है तो इन योजनाओं को शुरू करने वाले शिवराज सिंह के प्रति दिल से दुआएं निकलतीं हैं लेकिन जब मप्र के 1 लाख 25 हजार विकलांग बच्चों की ओर नजर जाती है तो लगता है कि सारा ढोंग केवल लोकप्रियता और वोटबैंक का है। सरकार ने इन 1 लाख 25 हजार विकलांग बच्चों को लावारिस छोड़ दिया है। कोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए इन 1 लाख 25 हजार विकलांग बच्चों को उचित शिक्षा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। शायद इसलिए क्योंकि ये संख्या एक बड़ा वोटबैंक नहीं है, लेकिन ये मासूम मप्र के स्वघोषित मामा से कहना चाहते हैं कि 'प्लीज कुछ कीजिए, हमारी दुआएं भी आपके काम आएंगी।' देश के कई राज्यों में ऐसे बच्चों के लिए स्पेशल स्कूल, स्पेशल टीचर्स हैं परंतु मप्र में ऐसा कुछ नहीं है। शायद इनका गुनाह है कि ये मप्र में पैदा हुए। 

पढ़िए इस संवेदनशील मामले में शिवराज सरकार के गैर संवेदनशील रवैये को बयां करता यह खुलाखत:-

सेवा में,
श्रीमान् संपादक महोदय
भोपाल समाचार
विषयः- विकलांग बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़।

मान्यवर,
विषयान्तर्गत निवेदन है कि, मध्यप्रदेश में एजुकेशन पोर्टल के अनुसार कक्षा 1 से 12 तक में लगभग 125000 विकलांग बच्चे दर्ज है। जिसमें लगभग 70000 बच्चें श्रवण बाधित, दृष्टि वाधित, मानसिक मंद, बहुविकलांग, अधिगंम अक्षमता तथा सेरिब्रल पाल्सी से ग्रसित है।

महोदय इन विशेष आवश्यक्ता वाले बच्चों को संबंधित विकलांगता से प्रशिक्षित विशेष शिक्षक ही पढा सकते है। जो भारतीय पुनरार्वास परिसर नई दिल्ली से पंजीक्रत हेाते है। इन बच्चों के लिए 8 बच्चों पर 1 विशेष शिक्षक होना आवश्यक होता है किन्तु मध्यप्रदेश में आज तक विशेष शिक्षक की कोई भी भर्ती नही हुई हैं। जबकी शिक्षा के अधिकार के तहत सभी बच्चों को शिक्षा का हक है। ऐसी स्थिति में यदि दृष्टीहीन या श्रवण बाधित या अधिगम विकलांग बच्चों को सामान्य स्कूल में दर्ज किया गया है। तो उनको कौन पढाएगा ? जबकि सामान्य विद्यालयों में जो शिक्षक नियुक्त हो रहे है। वे विशेष शिक्षक देने येाग्य कदापी नही है। 

यदि इन बच्चो को अवसर मिले तो सामान्य बच्चों से भी आगे निकल सकते है उमरिया कलेक्टर उदाहरण हैै। जो दृष्टि वाधित होते हुए भी बेहतर कार्य कर रहे है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश किया है कि, विकलांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षक ही नियुक्त किये जाए जो इन बच्चों की शैक्षणिक समास्याओं को समक्ष सकें और निदान कर सके। जिसके परिपालन में दिल्ली सरकार ने 6000 विशेष शिक्षक के पदों की पूर्ती नियमित वेतन मान 9300- 34800 में कर रही है। किन्तु मध्यप्रदेश सरकार विकलांग बच्चों को सामान्य शिक्षकों के भरोसे उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। 

अतः आप से निवेदन है कि मध्यप्रदेश सरकार विकलांग बच्चों के शिक्षा के लिए उचित कदम उठाने के लिए प्रेरित करें जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।

ये रहा हाईकोर्ट का आदेश 

नागेन्द्र पाण्डेय
मप्र का एक जागरुक नागरिक

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