पुलिस जवानों को लाइन लगाकर उल्लू बना गए कमांडेंड साहब

भोपाल। पुलिस के जवान पुलिस के ही हाथों ठगी का शिकार हो गए। 'साहब" पर भरोसा करने वाले पुलिस के 181 जवानों के हाथ जमीन तो नहीं आई, बल्कि दो से चार लाख रुपए का लोन जरूर चढ़ गया। पट्टे की जमीन की खरीदी में हुई गड़बड़ी पर जवान अब न तो 'साहब" के खिलाफ शिकायत कर पा रहे हैं और ना ही हर महीने किस्त से छुटकारा मिल पा रहा है।

मामला राजधानी में एसएएफ की 25वीं बटालियन का है। वर्ष 2011 में तत्कालीन कमांडेंट शाहिद अबसार ने जवानों को आशियाने का सपना दिखाकर मप्र पुलिस को-आपरेटिव क्रेडिट सोसायटी लिमिटेड 25 वी बटालियन से हर किसी को 2 से 4 लाख का लोन दिला दिया।

करोड़ों की रकम जुटाने के बाद बताया गया कि जमीन खरीद ली गई है और जल्द ही इस पर मकान भी बनाया जा सकेगा, लेकिन इस बीच ही कमांडेंट का तबादला हो गया। कुछ दिनों तक परेशान इन जवानों ने जब अपने स्तर पर गतिविधि आगे बढ़ाने की कोशिश की तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। रजिस्ट्री के बाद नामांतरण के दौरान उन्हें बताया गया कि जमीन पट्टे की है, जो न बेची जा सकती है, ना ही खरीदी जा सकती है।

चार करोड़ का कर्ज
वैसे तो इस मामले में पीड़ित एक भी जवान कुछ बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन नाम न छापने की शर्त पर सिर्फ इतना बताते हैं कि वे दो साल से अपने प्लाट का नामंतरण कराने के लिए कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। लोन कैसे हो गया? के सवाल पर बताते हैं कि दरअसल बटालियन का कमांडेंट ही सोसायटी का चैयरमेन होता है, तो उनके निर्देश पर सोसायटी ने दस्तावेज जांचे बगैर 181 जवानों को लगभग 4 करोड़ का कर्ज दे दिया।

ऐसे किया खेल
भोपाल के तहसील हुजुर ग्राम कलखेड़ा में किशन (अनुसूचित जाति) की खसरा नं. 118, 119, 120, 121 की 7 एकड़ जमीन की राम बहादुर यादव ने अपने नाम पॉवर अटॉर्नी करवाकर 184 प्लाट काटे। इन प्लाट को बेचने के लिए यादव ने तत्कालीन कमांडेंट अबसार से संपर्क किया।
इस पर उन्होंने एसएएफ के 181 जवानों को प्लाट खरीदने को कहा और लोन कराने की भी व्यवस्था कर दी। अपने अफसर पर भरोसा करते हुए जवानों ने 145 रूपए प्रति वर्ग फीट के हिसाब से प्लाट खरीदे।

हमें बताया पट्टे की जमीन
प्लाट की रजिस्ट्री होने के बाद हम जब नामांतरण कराने गए तो बताया गया कि आपने गलत जमीन खरीद ली है। यह जमीन सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों को पट्टे पर दी गई है। इसे न तो खरीदा जा सकता और न ही बेचा जा सकता। हमें समझ नहीं आ रहा है कहां जाएं।
एसएल पांडे, अध्यक्ष जवान कॉलोनी सोसायटी

यह कहना गलत है मैंने फंसाया
यह कहना गलत है कि मैंने जवानों को पट्टे की जमीन बिकवाई है। पुलिस सोसायटी बैंक का चैयरमेन होने के नाते हमने सिर्फ प्लाट के लिए कर्ज दिया है, इससे ज्यादा हमारी कोई भूमिका नहीं है। मैंने किसी भी जवान से नहीं कहा कि यहां से प्लाट खरीदो।
शाहिद अबसार, तत्कालीन कमांडेंट 25 वी बटालियन

मैं तो डेढ़ साल पहले आया हूं
यह मामला मेरे समय का नहीं है, मैं तो डेढ़ साल पहले ही सोसायटी का मैनेजर बना हूं। हमारी यह सोसायटी जवानों के वेलफेयर के लिए बनाई गई है। हां कई जवान सोसायटी में आकर कहते हैं कि उन्हें कर्ज दिलाने के नाम पर पट्टे की जमीन पर प्लाट काट कर दे दिए।
इंद्रजीत सिंह चावला,
मैनेजर मप्र पुलिस को-आपरेटिव क्रेडिट सोसायटी लिमिटेड 25 वी बटालियन

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