उचितमूल्य की दुकानों पर इलेक्ट्रॉनिक बिलिंग के आदेश

भोपाल। राशन कार्ड के साथ यदि आपका मोबाइल नंबर भी सस्ते राशन की दुकान में दर्ज है तो दुकानदार आपका खाद्यान्न डकार नहीं सकेगा। बैंक एकाउंट के ट्रांजेक्शन पर आने वाले एसएमएस की तर्ज पर अब राशन की उठान होने का भी एसएमएस आएगा, इतना ही नहीं राशन लेने के बाद दुकानदार इलेक्ट्रॉनिक पर्ची भी आपको देगा। ये नई व्यवस्था एक जुलाई से ग्वालियर, चंबल, सागर, भोपाल, नर्मदापुरम् और जबलपुर संभाग में लागू हो जाएगी, जबकि इंदौर, उज्जैन, रीवा और शहडोल संभाग के लिए विभाग ने टेंडर बुलाए हैं।

  • क्यों पड़ी जरूरत
  1. सस्ते राशन के प्रति उदासीन उपभोक्ताओं के नाम पर भी पूरी उठान दर्शाने की शिकायत आम है।
  2. जो उपभोक्ता दुकान तक जाते भी हैं, उन्हें मात्रा की पुख्ता जानकारी नहीं होती।
  3. कई बार माल कम या नहीं मिलने की सूचना देकर उपभोक्ता को लौटा दिया जाता है, जबकि वास्तविक हालात ऐसे नहीं होते।
  4. विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी शिकायत करते हैं कि उपभोक्ताओं को राशन नहीं मिल रहा है।
  5. कई दुकानदार द्वारा फर्जी राशनकार्ड बनवाकर भी खाद्यान्न् की कालाबाजारी करने की शिकायतें भी हैं।


मात्रा पकड़ेगी दुकानदार का फर्जीवाड़ा
जो उपभोक्ता एक बार में या हर महीने राशन नहीं ले रहा है, उसे दो महीने तक राशन लेने की सुविधा रहेगी, इसके बाद उस महीने का राशन लैप्स हो जाएगा, लेकिन उन उपभोक्ताओं का राशन ठिकाने लगाना मुश्किल होगा, जो कभी इन दुकानों का रूख ही नहीं करते और दुकानदार इसकी कालाबाजारी करते हैं। ऐसे में आवंटित और वितरण मात्रा में आए अंतर की जांच करके कोटा नए सिरे से तय होगा।

ऐसे होगा काम
राशन दुकानों पर हैंड होल्डेड मशीन रहेगी, जिससे मिलने वाली इलेक्ट्रानिक पर्ची पर राशन की मात्रा और रकम रहेगी। मशीन से जैसे ही रसीद निकलेगी, जानकारी सेंट्रल सर्वर (विभागीय मुख्यालय) में आ जाएगी।

  • सभी को राशन का दावा
  1. प्रदेश में करीब 22 हजार राशन दुकानों से सभी को राशन देने का शासन दावा करता है।
  2. एक करोड़ 17 लाख परिवार लाभार्थी हैं, पांच करोड़ 25 लाख उपभोक्ता हैं।
  3. 15 लाख परिवार अंत्योदय अन्न् योजना में हितग्राही हैं, इन्हें 35 किलो प्रतिमाह राशन मिलता है।
  4. एक करोड़ दो लाख परिवार के चार करोड़ 57 लाख व्यक्तियों को 5 किलो प्रतिमाह राशन मिलता है।
  5. प्रदेश में लागू राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पात्र व्यक्ति को राशन न मिलने पर उसे नगद भुगतान करना होगा।


171 करोड़ आएगी लागत
व्यवस्था लागू करने पर पांच साल में करीब 171 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। राशन दुकानों पर निजी कंपनी या एजेंसी हेंड होल्डेड मशीन लगाएंगी। इसका रखरखाव भी एजेंसी को ही करना होगा। इसके टेंडर में 1275 रुपए माह के रेट आए हैं। खर्च केन्द्र और राज्य सरकार आधा-आधा उठाएगी।

फुलप्रूफ होगी व्यवस्था
प्रदेश के हर पीडीएस उपभोक्ता का सत्यापन हो चुका है। आधार से हितग्राही को लिंक करने का काम चल रहा है। पांच संभागों में एक जुलाई से राशन की रसीद मिलने लगेगी।
अशोक वर्णवाल
प्रमुख सचिव, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति

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