राकेश दुबे@प्रतिदिन। होली पर रक्तरंजित खबर से सामना हुआ| खबर दीमापुर से है| दुष्कर्मी को सजा देने के लिए नागालैंड में लोगों ने कानून खुद अपने हाथ में ले लिया। बलात्कार की घटना से बौखलाई भीड़ ने दीमापुर सेंट्रल जेल से दुष्कर्मी को जबरिया बाहर निकाल पीट-पीट कर मार डाला। इससे एक दिन पूर्व निरीह सरकार निर्भया कांड पर बनी एक फिल्म के प्रदर्शन को रोक पाने में असफल रही| जब-जब सरकारें असफल होती है, और न्याय में हीला-हवाला किया जाता है, तब ही दीमापुर जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटती है|
ऐसा ही दो मामले मध्यप्रदेश के हैं, पहले सम्मानीय न्यायपलिका के निर्णय कि प्रतीक्षा में जन प्रतिनिधियों ने, जनता की भावना को, राज्यसभा की चौखट पर महाभियोग कि शक्ल में, सूचना पत्र के माध्यम से दायर किया है| दूसरे मामले में, एक जिले में सरकार के सर्वोच्च अधिकारी जिलाध्यक्ष पर एक शिक्षिका के वह सब करने के आरोप हैं, जो नारी के विरुद्ध अपराध का चरम है|
मध्य प्रदेश के एक न्यायमूर्ति गंगेले पर ग्वालियर की एक अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश का यौन शोषण करने के आरोप हैं| जदयू अध्यक्ष शरद यादव कांग्रेस, माकपा, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी एवं बसपा सहित कई दलों के सदस्यों ने इस महाभियोग अनुमोदन किया है| जदयू नेता ने कहा, ‘इस सिलसिले में न्यायकि समुदाय के कई लोग उनसे मिलने आए और इस मामले का पूरा इतिहास उन्हें बताया| उन्हें लगता है कि महिला न्यायाधीश की आवाज को नहीं सुना गया|
जिलाध्यक्ष का तबादला करके मामले ठंडा करने का प्रयास मध्यप्रदेश में हो रहा है| यह सब क्या है, क्यों है और निदान क्या है ? सबको मालूम है, पर सबको दूसरे पाले में खड़े होना सुविधाजनक लगता है|
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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rakeshdubeyrsa@gmail.com
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