भोपाल। मप्र सरकार एवं मप्र पुलिस ने व्यापमं घोटाले का व्हिसल ब्लोअर को सुरक्षा उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया है। साथ ही कहा है कि वो इन दिनों कतिपय राजनीतिज्ञों के हाथ की कठपुतली बना हुआ है। उसकी जान को खतरा नहीं है। दिल्ली पुलिस द्वारा जो सुरक्षा मुहैया कराई गई है उससे सरकार को आपत्ति नहीं है।
यह बात मध्यप्रदेश सरकार एवं पुलिस प्रमुख की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में पेश संयुक्त शपथ पत्र में कही गई है। सरकार का दावा है कि उसकी जान को खतरा नहीं है और न ही उसने ऐसी शिकायत की है। व्हिसल ब्लोअर की ओर से लगाई गई याचिका के संदर्भ में कोर्ट ने सरकार, पुलिस एवं व्यापमं घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ से जवाब मांगा था।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए थे। सरकार ने जवाब में दावा किया कि स्वयं को कम्प्यूटर विशेषज्ञ बताने वाले व्हिसल ब्लोअर का आपराधिक रिकार्ड है, इसलिए कोर्ट को उसकी बातों पर कान नहीं देना चाहिए।
जानता है गोपनीय जानकारियां
कम्प्यूटर विशेषज्ञ व्हिसल ब्लोअर ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि एसटीएफ के लिए बतौर सहायक काम करने के दौरान व्यापमं जांच से जुड़ी ऐसी गोपनीय एवं संवेदनशील सूचनाएं उसकी जानकारी में आ गईं थी जो मप्र सरकार के उच्च पदस्थ लोगों एवं अफसरों के खिलाफ हैं। जाने-माने वकील कपिल सिब्बल ने उसकी ओर से कोर्ट में दावा किया कि मप्र पुलिस ने उसे फर्जी मामले में गिरफ्तार भी कर लिया था जिसमें अगस्त 14 से वह जमानत पर है।
मुख्यमंत्री के बारे की पूछताछ
याचिका में कहा गया है कि व्यापमं घोटाले में राजनेताओं, वरिष्ठ अफसरों एवं व्यवसायियों की सांठगांठ सामने आ चुकी है। याचिकाकर्ता ने कहा कि जमानत पर रिहा होने के बाद मप्र पुलिस ने उसे दबोचकर यह जानने की कोशिश की एसटीएफ के पास प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ ठोस सुबूत है कि नहीं? उसने जब पुलिस को भरोसा जता दिया कि वह किसी भी बाहरी व्यक्ति के साथ इस मामले में कोई भी जानकारी साझा नहीं करेगा, तब पुलिस ने छोड़ा।
रात में पुलिस अफसर का फोन...
उसने किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से संपर्क कर उसे मिल रही धमकियों की जानकारी दी। फरवरी में वह दिल्ली चला आया क्योंकि झूठे मामला दर्ज होने के कारण इंदौर में रहना मुश्किल हो गया था।
कोर्ट को सिब्बल यह भी बता चुके हैं कि घोटाले से जुड़े कुछ ऐसे दस्तावेज व्हिसल ब्लोअर के पास हैं जिन्हें सुरक्षा की खातिर वह दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जरनल को सौंपना चाहता है। उन्होंने यह भी बताया कि 18 फरवरी को मप्र पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने रात में उसे फोन कर जानने की कोशिश की इस समय वह कहां है।