भोपाल। जहां केंद्र और प्रदेश सरकार के कर्मचारी सातवें वेतनमान की मांग पर अडे है, वहीं प्रदेश के तीन उपक्रम ऐसे भी है जहां के कर्मचारियों को चौथा वेतनमान मिल रहा है। इन कर्मचारियों को महज साढे तीन हजार रुपए मासिक वेतन मिल रहा है, जो अकुशल मजदूर की मजदूरी 5939 रुपए से कम है। ऐसे कर्मचारियों की संख्या 1400 है।
प्रदेश में साठ से अधिक निगम- मंडल है। इनमें से कई निगम - मंडल घाटे की स्थिति में है। ऐसे में उनके सामने अपने कर्मचारियों को वेतन बांटने के लाले पड़ रहे हैं। यही वजह है कि आय के स्त्रोत नहीं होने के कारण इन निगम मंडलों में अभी तक कर्मचारियों को चौथा वेतनमान ही दिया जा रहा है। इनमें मप्र सड़क परिवहन निगम, तिलहन संघ और मप्र राज्य सहकारी मुद्रणालय शामिल है।
तीनों उपक्रम लगभग बंद होने की स्थिति में है। इसके बावजूद यहां पर 1400 कर्मचारी पदस्थ है। इनमें से एक हजार कर्मचारी तो ऐसे हैं जिन्हें साढे तीन हजार रुपए से पांच हजार रुपए तक वेतन मिल रहा है। उनका वेतमन अकुशल मजदूर के मजदूरी से भी कम है। इन कर्मचारियों को 1998 का महंगाई भत्ता दिया जा रहा है।
इन तीनों उपक्रमों के जो कर्मचारी अन्य संस्थाओं में प्रतिनियुक्ति या संविलियन में चले गए हैं उन्हें जरूर महंगाई भत्ता बढ़ा हुआ मिल रहा है। एक दर्जन से अधिक उपक्रमों में अभी पांचवे वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है। ऐसे कर्मचारियों की संख्या लगभग दो हजार है। इन उपक्रमों के कर्मचारी वेतन बढ़ाए जाने की मांग को लेकर समय- समय पर आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।