भोपाल। सरकार और मेडिकल माफिया की मिलीभगत के चलते स्वाइन फ्लू के नाम पर काला कारोबार करोड़ों तक पहुंच गया है। बाजार में इन दिनों स्वाइन फ्लू का फर्जी टीका लगाया जा रहा है। इस टीके की कीमत 3 हजार रुपए तक है परंतु असलियत यह है कि स्वाइन फ्लू के लिए अभी तक कोई टीका बना ही नहीं।
पढ़िए इंदौर के पत्रकार कुदीप भावसार की यह रिपोर्ट
स्वाइन फ्लू के नाम पर बाजार में बेचा जा रहा टीका वास्तव में स्वाइन फ्लू का है ही नहीं। ये इंफ्लूएंजा का टीका है। टीका लगाने के बाद इस बात की गारंटी नहीं है कि स्वाइन फ्लू नहीं होगा। डब्ल्यूएचओ ने भी अभी तक स्वाइन फ्लू के किसी टीके की अनुमति नहीं दी है।
स्वाइन फ्लू के वायरस एच1एन1 वैक्सीनेशन के नाम पर लगाए जा रहे इस टीके की कीमत अस्पतालों में अलग-अलग बताई जा रही है। कहीं इसके लिए एक हजार रुपए मांगे जा रहे हैं तो कहीं तीन हजार।
कुछ अस्पताल और क्लीनिक के बाहर तो बैनर लगाकर स्वाइन फ्लू के इस कथित टीके के बारे में बताया जा रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि इंफ्लूएंजा का यह टीका सिर्फ 2009-10 में भारत में आए एच1एन1 वायरस से ही लड़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार एच1एन1 वायरस अब बदलकर एच 1 एन 3 हो गया है। यानी इस वायरस ने अपना रूप बदल लिया है और वर्तमान परिस्थितियों में अधिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।
इस वायरस की बदली प्रकृति के अनुसार टीका विकसित करने का काम तेजी से चल रहा है। उम्मीद है कि इस वर्ष अप्रैल-मई तक यह भारत में उपलब्ध हो सकता है, लेकिन उस वक्त तक एच1एन3 वायरस अपना नेचर और कितना बदल लेगा इसका कोई अनुमान नहीं है। ऐसे में विकसित होने वाला टीका कितना असर डालेगा, इसे लेकर भी संशय है।
मेडिकल माफिया को सरकारी समर्थन
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि बाजार में स्वाइन फ्लू के नाम पर लगाया जा रहा टीका वायरस से लड़ने में सक्षम नहीं है। इसके बावजूद विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी इस गड़बड़ी को नजरअंदाज कर रहे हैं।
कई डॉक्टर टीके के लिए बना रहे हैं दबाव
स्वाइन फ्लू के नाम पर लगाया जा रहा यह टीका गरीबों की जेब पर भारी पड़ रहा है। कई डॉक्टर और क्लीनिक इसके लिए दबाव भी बना रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में ही इसे लेकर विरोधभास है। संयुक्त संचालक जहां इस तरह के टीके को गैर जरूरी बता रहे हैं, वहीं प्रभारी टीकाकरण अधिकारी इसे लगवाने की सलाह दे रहे हैं।
इंदौर के प्रभारी टीकाकरण अधिकारी डॉ.एसके अवधिया से सीधी बात
सवाल- स्वाइन फ्लू को लेकर कोई टीका है क्या?
जवाब- टीका तो है लेकिन फिलहाल मेरे पास उपलब्ध नहीं है।
सवाल- क्या टीका लगाने के बाद स्वाइन फ्लू से बचाव हो जाता है?
जवाब- टीके का असर एक साल तक रहता है। इसे 6 साल से अधिक उम्र के बच्चे को लगवाया जा सकता है। इसकी कीमत एक हजार स्र्पए है।
इंफ्लूएंजा का टीका है
टीका इंफ्लूएंजा का है, स्वाइन फ्लू का नहीं। एच1एन1 वायरस पूरी तरह बदल गया है, इसलिए इस टीके का असर उस पर नहीं होगा। हमने इस बारे में आईएमए और नर्सिंग होम्स को भी बता दिया है। उम्मीद है कि अप्रैल-मई तक नया टीका भारत आ जाएगा, लेकिन यह कितना असरदार होगा यह फिलहाल बताया नहीं जा सकता।
डॉ. शरद पंडित, संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
टीका जारी नहीं किया है
स्वाइन फ्लू का कोई टीका उपलब्ध नहीं है। सरकार ने अधिकृत तौर पर कोई टीका जारी नहीं किया है।
संजय दुबे, संभागायुक्त, इंदौर
बाजार में कमी, ब्लेक में बिक्री
अब तक हजारों टीके बिक चुके हैं। मार्केट में इसकी कमी बनी हुई है। दवा कंपनियों से माल आते ही बिक जाता है। हालांकि यह टीका इंफ्लूएंजा का है।
विनय बाकलीवाल
अध्यक्ष, दवा बाजार व्यापारी एसोसिएशन
आयुर्वेद में मौजूद है टीका
आयुर्वेद में इसका टीका मौजूद है। एक विशेष प्रकार का काढ़ा बनाकर पीने से स्वाइन फ्लू के वायरस से बचाव होता है। राजस्थान में समाजसेवी संस्थाएं इसे मुफ्त पिला रहीं हैं परंतु शायद मोदी ने अपील नहीं की इसलिए पूरे देश में इसका विस्तार नहीं हो पाया।
