एक साथ 20 सुअरों की मौत, हुआ पीएम, उलझे डॉक्टर, पब्लिक दहशत में

हरिओम गौड़/श्योपुर। शहर के सूअर स्वाइन फीवर (सूअरों का बुखार) की चपेट में है। यह खुलासा एक सूअर के पोस्टमार्टम के बाद वेटनरी डॉक्टरों ने किया है। पशुओं के डॉक्टर स्वाइन फीवर को सूअरों के लिए मौसमी बीमारी बता रहे हैं, लेकिन इंसानों के डॉक्टरों ने वेटनरी की रिपोर्ट पर ही सवाल उठा दिया है।

जिला अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि मौत के बाद फीवर का पता लगना इंपोसिबल है। यदि इंसानों के डॉक्टरों का दावा सच माना जाए तो श्योपुर शहर की करीबन 73 हजार के करीब की आबादी की सेहत खतरे में हैं, क्योंकि पूरे प्रदेश में कहर बनकर टूट रही स्वाइन फ्लू की बीमारी की एक वजह सूअर भी हैं।

गौतरलब है कि, पिछले एक महीने से स्वाइन फ्लू ने राजस्थान और एमपी में कहर बरपा रखा है। इसी इसी एक महीने के भीतर श्योपुर में सूअरों की मौत का ग्राफ भी बढ़ गया था। बीते सोमवार को हुई टीएल की बैठक में कलेक्टर धनंजय सिंह भदौरिया ने इस बात पर चिंता जताई। तब नपा के कर्मचारियों ने बताया कि हर सप्ताह तकरीबन 20 सूअर अज्ञात बीमारी से मर रहे हैं।

यह सुन कलेक्टर भी सन्न रह गए और आदेश दिए कि हर मृत सूअर का पोस्टमार्टम करवाया जाए। इससे पता लग सके कि सूअरों की मौत और स्वाइन फ्लू के बीच कोई संबंध तो नहीं। कलेक्टर के आदेश पर अमल करते हुए सोमवार को ही वेटनरी डॉक्टरों ने सोमवार से अब तक सिर्फ एक सूअर का पोस्टमार्टम करवाया है। जिसकी रिपोर्ट गुरुवार शाम को आई है। पीएम रिपोर्ट में मृत सूअर की मौत का कारण स्वाइन फीवर बताया गया है।

इसलिए सूअर के PM पर शक
डॉक्टरों के अनुसार मौत के बाद किसी इंसान या जानवर के बुखार को नापना असंभव है क्योंकि मृत्यु के बाद खून का प्रवाह रुकते ही शरीर ठंडा हो जाता है और धड़कन भी बंद हो जाती है। डॉक्टरों के अनुसार बुखार को नापने का पैमाना नाड़ी की धड़कन और शरीर का तापमान होता है। धड़कने बढ़ने और तापमान बढ़ना बुखार के लक्षण है। अब सूअरों की पीएम रिपोर्ट पर सबसे बड़ा सवाल ही है कि ठंडे शरीर में बुखार कैसे नापा गया? ऐसा तो नहीं वेटनरी डॉक्टरों ने बिना पीएम के ही झूठी रिपोर्ट बना दी हो?

If you have any question, do a Google search

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!