न्यूयॉर्क। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का नारा देने वाले संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का तालिबान की तरह दुनिया का आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की गई है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि यह मांग किसी मुसलमान या ईसाई संगठन ने नहीं बल्कि सिख अधिकार संगठन ने की है।
अमेरिकी फेडरल कोर्ट में एक सिख अधिकार संगठन ने अपील कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को 'विदेशी आतंकवादी संगठन' घोषित करने की मांग की है। दक्षिणी न्यूयॉर्क जिले की इस अदालत ने अपील पर अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी को समन जारी कर 60 दिन के भीतर जवाब मांगा है। 'सिख्स फॉर जस्टिस' (SFJ) ने अपने वाद में अदालत से आरएसएस को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की।
इसमें आरोप लगाया गया है कि आरएसएस फासीवादी विचारधारा में विश्वास रखता है और भारत को एक ही तरह की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान वाला 'हिंदू' राष्ट्र बनाने के लिए आवेशपूर्ण, विद्वेषपूर्ण और हिंसक अभियान चला रहा है।
एसएफजे ने कहा कि आरएसएस ईसाइयों और मुसलमानों को जबरन हिंदू बनाने के लिए अपने अभियान 'घर वापसी' के कारण सुर्खियों में बना हुआ है। वाद में अदालत से आग्रह किया गया है कि आरएसएस, इससे जुड़ी संस्थाओं और इसके सहयोगी संगठनों को विदेशी आतंकवादी संगठन के तौर पर और आरएसएस को विशेष रूप से वैश्विक आतंकवादी संगठन (एसडीजीटी) के रूप में घोषित किया जाए।
आरएसएस पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए याचिका में कहा गया है कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने, स्वर्ण मंदिर में सेना के अभियान के लिए उकसाने, 2008 में गिरजाघरों को जलाने व ईसाई ननों से बलात्कार और 2002 में गुजरात दंगों में आरएसएस की भागीदारी रही है।
एसएफजे के लीगल अडवाइजर गुरपतवंत सिंह पान्नुन ने आरएसएस के लिए विदेशी आतंकवादी संगठन के दर्जे की वकालत करते हुए कहा कि जब से नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई है आरएसएस भारत को हिंदू राष्ट्र में तब्दील करने के लिए अल्पसंख्यकों को नई सरगर्मी के साथ निशाने पर ले रहा है।