साऊदी अरब के बादशाह एवं दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुसलमान अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज का शुक्रवार को निधन हो गया. वे 90 वर्ष के थे. उनका निधन शुक्रवार सुबह हुआ लेकिन खबरे काफी देर के बाद लोगों को मिली. फिलहाल मौत की वास्तविक वजह का पता नहीं चल पाया है.
बताया जा रहा है कि फेफड़े में संक्रमण के कारण उन्हें 31 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. आइएस के आतंक को करारा जवाब देने के लिए अब्दुल्ला को पहचाना जाता था. उनकी मौत के बाद राज परिवार क वारिश उनके छोटे भाई सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सउद होंगे.
पढ़िए कैसे इंसान थे अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज
सऊदी अरब के बादशाह और दो पवित्र मस्जिदों के संरक्षक किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज अल सौद फोर्ब्स के द्वारा जारी किए गए दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों में छठे पायदान पर हैं। इन्हें दुनिया के मुस्लिम समुदायों में सबसे ज्यादा प्रभावशाली माना है। किंग अब्दुल्ला 2009-10 में दुनिया के 500 प्रभावशाली मुस्लिमों में भी सबसे ज्यादा प्रभावी रहे थे। 3 अगस्त, 2005 में वह अपने सौतेले भाई किंग फहद की मृत्यु के बाद अरब की राजगद्दी बतौर शासक के रूप में संभाली। सऊदी अरब को जियोपोलिटकली तौर पर सबसे शक्तिशाली राष्ट्र है। वह 1962-2010 तक सऊदी अरब नेशनल गार्ड के कमांडर भी रहे हैं।
किंग अब्दुल्लाह सऊदी अरब के कगो तेल और रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद के निर्यातक एवं उसके संग्रहण के रूप में काफी मशहूर हैं। किंग अब्दुल्ला का मक्का एवं मदीना के संरक्षक होने के नाते मुस्लिम समुदाय में छवि काफी प्रभावी है। मक्का, मुस्लिमों का सबसे मुख्य तीर्थ स्थल है, जहां सलाना बड़ी संख्सा में मुस्लिम दर्शन को आते हैं। अंतरराष्ट्रीय कगो तेल के बाजार में सऊदी अरब की लगभग 25 फीसदी हिस्सेदारी है और जिस पर पूरा नियंत्रण किंग अब्दुल्ला का था। किंग अब्दुल्ला इस्लाम के सल्फाई ब्रांड को भी प्रमोट करने वाले दुनिया के सबसे विशाल मुस्लिम मिशिनरी नेटवर्क 'दावा' के प्रमुख भी थे।
किंग अब्दुल्ला ने सऊदी अरब में कई एेतिहासिक सुधारक कार्य भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए किए। उन्होंने अरब में चल रहे भ्रष्टाचार को खत्म किया, सऊदी अरब के बजट को संतुलित किया, प्रदेश में शिक्षा को बढ़ावा दिया, औरतों और अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाई, सऊदी की महिलाएं भी लोकल स्तर पर चुनाव में हिस्सा ले सकेंगी और प्रदेश में कानून-व्यवस्था के ढांचे को सही किया। सऊदी शासन काल में उन्होंने अल्पसंख्यकों की उपस्थिति के संख्या को भी बढ़ाया। साथ ही, सीरा काउंसिल में सिया समुदाय की उपस्थिति को बढ़ाने पर भी जोर दिया। 51 सालों में पहली सऊदी राजशाही ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया और नवंबर 2007 में पहली राजशाही सऊदी मोनार्क पोप बेनेडिक्ट सोलहवें से मिले।
