भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार से सीधा संघर्ष कर रहे IAS रमेश थेटे पर लोकायुक्त ने हमला बोल दिया है। उनके खिलाफ एक साथ 25 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। सारे के सारे मुकदमे इसलिए दर्ज किए गए क्योंकि उन्होंने शासन द्वारा अधिग्रहित की गई 107 एकड़ जमीन किसानों को वापस लौटा दी थी।
लोकायुक्त ने राज्य सरकार से थेटे के खिलाफ चालान पेश करने की अनुमति भी मांगी हैं। रमेश थेटे लंबे समय से आरोपों के घेरे में हैं। हालांकि वे सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गए थे, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें कोई राहत नहीं दी हैं। उनका प्रमोशन भी रूक गया है। थेटे सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं कि दलित होने के कारण उन्हें परेशान किया जा रहा हैं। न्याय नहीं मिलने पर थेटे सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी भी दे चुके हैं। उन्होंने पूर्व में स्यूसाइड की धमकी भी दी थी।
जिन मामलों में थेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया हैं वे सभी उज्जैन से जुड़े हैं। थेटे जुलाई 2011 से जुलाई 2013 तक उज्जैन डिविजन के एडिशनल कमिश्नर थे। इस दौरान उन्होंने सरकार के सीलिंग में ली गई जमीन किसानों को वापस किए जाने के आदेश दिए थे। बाद में इस मामले में शिकायत होने पर लोकायुक्त ने पूरे मामले की जांच की। जांच में पाया गया कि थेटे ने एक नहीं बल्कि 25 मामलों में हेराफेरी की है। आरोप है कि थेटे ने तहसीलदारों और पटवारियों के जरिए कोर्ट में उन किसानों से अपील लगवाई जिनके जमीन का अधिग्रहण किया गया था। थेटे ने अधिगृहण को निरस्त कर दिया और किसानों की जमीन वापस उनके नाम करवा दी थी। कुल 107 एकड़ जमीन किसानों को लौटाई गई थी। उज्जैन शहर में इस जमीन की कीमत इस समय अरबों रूपये है।