माटी के मोल मिल रहा है कच्चा तेल, अब तो घटा दो दाम

भोपाल। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट का दौर लगातार जारी है। अब तो यह माटी के मोल मिलने लगा है, लेकिन पेट्रोल/डीजल के दाम अभी भी उतने नीचे नहीं आए हैं जितने कि आ जाने चाहिए थे। सवाल यह है कि जब पेट्रोल/डीजल सरकार के नियंत्रण से मुक्त हो गए और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढ़ने पर कीमतें बढ़ाई जातीं हैं तो दाम घटने पर तुलनात्मक घटाई क्यों नहीं जा रहीं। मध्यप्रदेश के पेट्रोल/डीजल उपभोक्ताओं के साथ तो घोर अन्याय हो रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में फिलहाल एक बैरल कच्चे तेल की कीमत 46 डॉलर प्रति बैरल के लगभग है, जो कि साल 2009 के बाद सबसे कम है। अमेरिका में भी कच्चे तेल की कीमतें 2009 के बाद पांच फीसदी कम होकर 45.90 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं। दरअसल तेल कंपनिया हर 15 दिन में तेल की अंतराष्ट्रीय कीमत का आकलन करती हैं, जिसके बाद खुदरा बाज़ार में तेल का दाम तय किया जाता है।

पहली दफा मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने पेट्रोल/डीजल पर वैट टैक्स बढ़ाकर देशभर में घटी कीमतों का लाभ मध्यप्रदेश के उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचने दिया। दूसरी दफा केन्द्र सरकार ने टैक्स बढ़ाकर देशभर के पेट्रोल/डीजल उपभोक्ताओं तक यह लाभ नहीं पहुंचाया। नियंत्रण मुक्त का अर्थ नियंत्रण मुक्त ही होना चाहिए, तो फिर अब उपभोक्ताओं के गाल पर तमाचा क्यों मार रही है सरकार।

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