भाजपा को भोपाल में लगाना ही पड़ा एकजुटता का नारा

भोपाल। राजनीति में सभी जानते हैं कि एकजुटता के दावे तभी किए जाते हैं जब फूट इस कदर पड़ गई हो कि उसे पाटा ना जा सके। भोपाल से महापौर प्रत्याशी आलोक शर्मा के मामले में कुछ ऐसा ही है। इसी के चलते अंतत: आलोक शर्मा के चुनाव संचालक एवं मंत्री उमाशंकर गुप्ता को सामने आकर उन तमाम खबरों का खंडन करना पड़ा जिसमें लगातार खुलासा किया जा रहा कि भोपाल के दिग्गज भाजपा नेता ही आलोक शर्मा का सपोर्ट नहीं कर रहे हैं।

जिस अखबार में गुटबाजी की खबर लगी थी, खंडन भी आज उसी में जारी हुआ परंतु लोग इसे मैनेजमेंट से ज्यादा कुछ नहीं मान रहे हैं।

आलोक शर्मा के चुनाव संचालक एवं मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने दावा किया है कि भाजपा के महापौर पद के प्रत्याशी आलोक शर्मा को लेकर पार्टी के स्थानीय नेता और विधायकों के बीच कोई विरोध नहीं है। ये सिर्फ अफवाहें हैं जो विरोधी पार्टी और कुछ विध्नसंतोषी लोग उड़ा रहे हैं। आलोक शर्मा ऐसा नाम है जिस पर पूरी पार्टी सर्वसम्मत थी कि उन्हें भोपाल से चुनाव लड़ाया जाए। सभी विधायक, सांसद और नेता आलोक के लिए प्राणप्रण से जुटे हैं।



ढाई लाख वोटों से जीतेंगे
गुप्ता ने भोपाल से प्रकाशित सांध्य दैनिक प्रदेश टुडे से हुई चर्चा में दावा किया कि आलोक ढाई लाख से ज्यादा मतों से चुनाव जीतेंगे। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव की हमारी जीत 3 लाख 71 हजार की थी, उसमें से बैरसिया व सीहोर विधानसभा निकाल दें तो यह जीत ढाई लाख तक आती है। लोकसभा चुनाव से लेकर नगरीय निकाय चुनाव के बीच वही टेम्पो बना हुआ है। इसलिए उन्हें पूरा विश्वास है कि शर्मा ढाई लाख से अधिक मतों से जीतेंगे। गुप्ता ने यह भी कहा कि चुनाव संचालक होने के नाते वे चुनाव का प्रतिदिन रिव्यू करते हैं और उनके सामने ऐसी कोई बात नहीं आ रही है कि कोई विधायक काम नहीं कर रहा या कोई सेबोटेज कर रहा है। सभी एक हैं और सभी एक ही लक्ष्य है कि भोपाल में भाजपा का महापौर और परिषद दोनों बनें।

पार्षदों को भी जिताएंगे
भाजपा के पार्षद प्रत्याशियों की जीत को लेकर चल रहे संशय पर पूछे गए सवाल के जवाब में गुप्ता ने कहा कि पार्टी ने जिन कार्यकर्ताओं को टिकट दिया है। अब उनकी जीत की जिम्मेदारी विधायक और पार्टी संगठन के नेताओं की है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सभी विधायक मिलजुलकर काम कर रहे हैं और उम्मीद है कि बड़ी संख्या में पार्षद जीत कर आएंगे।

कुल मिलाकर इस बयान के जरिए आलोक शर्मा से नाराजगी की खबरों से हो रहे नुक्सान को रोकने की कोशिश की गई है लेकिन सबलोग बेहतर जानते हैं कि नगरीय निकाय चुनावों में वोट तो तभी मिलता है जब पानी, बिजली और दूसरी छोटी छोटी चिंताएं करने वाला जमीनी कार्यकर्ता वोटर्स से मिलने उनके घर जाता है, कम से कम आलोक शर्मा के मामले में भोपाल के कई इलाकों में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है।


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