नईदिल्ली। सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी की नजर अब टीवी और इंटरनेट पर भी है। वो चाहते हैं कि इन्हे भी सेंसरबोर्ड के दायरे में लाया जाना चाहिए।
उनका मानना है कि जिस पैमाने पर फिल्मों में न्यूडिटी को जज किया जाता है, ठीक उसी तरह टीवी और इंटरनेट पर भी इसे आंका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि टीवी पर परोसी जा रही ‘अश्लीलता’ पर वो सूचना प्रसारण मंत्रालय से चर्चा करेंगे। फिल्मों की तुलना में टीवी शो को जज करने में दोहरी नीति अपनाई गई है, इसे सही किया जाना चाहिए।
न्यूडिटी के लिए हो केवल एक पॉलिसी
निहलानी ने एक इंटरव्यू में कहा कि इंटरनेट और लाइव फैशन शो जैसे कुछ टीवी प्रोग्राम में न्यूडिटी नजर आती है। निहलानी ने इस बात पर जोर दिया कि न्यूडिटी पर केवल एक ही पॉलिसी होनी चाहिए। सेंसरबोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि टीवी पर दिखाए जाने वाले लाइव प्रोग्राम के निर्माताओं से सेल्फ रेगुलेशन की उम्मीद की जाती है। उन्होंने कहा कि ‘स्व-नियंत्रण’ का पालन नहीं किया जा रहा है। टीवी पर अश्लीलता है, इसे कंट्रोल करना होगा।
बोर्ड के अधिकार से बाहर टीवी, इंटरनेट
सेंसर बोर्ड अध्यक्ष के टीवी कंटेट पर इस बयान के बाद संभव है कि विवाद शुरू हो जाए। दरअसल, टीवी को केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट के जरिए नियंत्रित किया जाता है। ब्रॉडकास्ट कंटेंट कप्लेंट्स काउंसिल (बीसीसीसी) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स स्टैंडर्ड् ऑथरिटी (एनबीएसए) संस्था टीवी शो को रिव्यू करती हैं। इस दोनों संस्थाओं के सदस्य टीवी और न्यूज इंडस्ट्री से होते हैं। किसी दर्शक की शिकायत पर टीवी शो पर कार्रवाई की जाती है।
फिर क्यों उठाए सवाल
सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं है कि वो बीसीसीसी या एनबीएसए के कामों की समीक्षा करें या उनके कामकाज पर कोई टिप्पणी कर सकें। यह एक अनाधिकृत टिप्पणी है जो पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी शक्तियां बढ़ाने के प्रयास में दूसरे के काम को छोटा बताने की ओछी राजनीति कही जाती है। माना जा रहा है कि निहलानी अपने अधिकार बढ़ाना चाहते हैं और इसके पीछे उनका क्या टारगेट है यह शायद बताने की जरूरत नहीं।
