होमगार्ड को मिला समान काम समान वेतन: सुप्रीम कोर्ट का फैसला

भोपाल। अंतत: होमगार्ड को भी अब एक इज्जत वाली जिंदगी मिल ही जाएगी। अधिकारियों के बंगलों पर बेगारी करने वाले होमगार्ड पर सीना तानकर नौकरी कर पाएंगे और अपने आपको होमगार्ड बताने में शर्म महसूस नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें समान काम, समान वेतन का अधिकार दे दिया है। 

भारत के प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने मध्यप्रदेश के होमगार्ड सैनिकों के हक में बुधवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इसके तहत हाईकोर्ट के पूर्व आदेश के खिलाफ राज्य शासन की अपील खारिज कर दी गई। साथ ही 8 माह के भीतर हाईकोर्ट के आदेश का अक्षरशः पालन सुनिश्चित करने निर्देश दे दिया गया।

मामले की सुनवाई के दौरान होमगार्ड कल्याण समिति व होमगार्ड सैनिक रमाकांत चतुर्वेदी सहित अन्य की ओर से जबलपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता मृगेन्द्र सिंह व धीरेन्द्र सिंह परमार ने पक्ष रखा।

बेगारी न कराकर कांस्टेबल के समान वेतन दें
उन्होंने दलील दी कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजेन्द्र मेनन की एकलपीठ ने 2 दिसम्बर 2011 को होमगार्ड सैनिकों के हक में राहतकारी आदेश सुनाया था। जिसमें साफ किया गया था कि राज्य के होमगार्ड सैनिकों से बेगारी न कराते हुए कायदे से उन्हें पुलिस कांस्टेबल स्तर का वेतन दिया जाए। वर्तमान में उन्हें मनरेगा के मजदूरों से भी कम भुगतान बेहद शर्मनाक है।

रिट अपील खारिज होने पर लगाई एसएलपी
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि मध्यप्रदेश शासन ने हाईकोर्ट की एकलपीठ के आदेश के खिलाफ डिवीजन बेंच में रिट अपील दायर कर दी थी। जब उसे खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को यथावत रखा गया तो राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर दी। चूंकि राज्य का रवैया होमगार्ड सैनिकों के शोषण का है, अतः उसकी एसएलपी खारिज कर दिए जाने योग्य है।

1947 से हो रहा शोषण
वरिष्ठ अधिवक्ता मृगेन्द्र सिंह ने सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच को अवगत कराया कि मध्यप्रदेश में 1947 से होमगार्ड सैनिकों से स्वयंसेवक बतौर सेवाएं ली जा रहीं हैं। वालेंटियर की तरह सेवा लेने के बावजूद उन्हें वेतन के नाम पर महज नाममात्र की राशि देकर दोहन किया जाता है। सवाल उठता है कि जब काम पुलिसमैन जैसा लिया जाता है तो वेतन चौकीदार से भी कम क्यों? हाईकोर्ट ने इन्हीं बातों को गंभीरता से लेकर राज्य को फिलहाल कांस्टेबल स्तर का वेतन सुनिश्चत करने और होमगार्ड सैनिकों के संबंध में नए नियम बनाने का आदेश जारी किया था।

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