नयी दिल्ली। यदि मोदी सरकार टैक्स ना बढ़ाती तो पेट्रोल की कीमत 6 रुपए लीटर तक सस्ती हो जातीं। इसे सरकार की पॉकेटमारी ही कहा जा सकता कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जैसे ही दाम घटते हैं, सरकार टैक्स बढ़ाकर उसका फायदा जनता तक पहुंचने ही नहीं दे रही। भारत के इतिहास में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ।
सरकार ने एक बार फिर पेट्रोल और डीजल दोनों पर उत्पाद शुल्क दो-दो रुपये प्रति लीटर बढा दिया है लेकिन इसका असर यह पड़ेगा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में घटे दामों का फायदा आम जनता तक नहीं पहुंच पाएगा उल्टे मात्र अगले तीन महीने में आम आदमी की जेब से 6000 करोड़ रुपया सीधे सीधे मोदी की के खजाने में जमा हो जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम पिछले पांच साल के निम्न स्तर पर आने से सरकार को मुद्रास्फीति पर दबाव बढाये बिना राजस्व बढाने का अवसर मिल रहा है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम मई 2009 के बाद सबसे निम्न स्तर पर है. कंपनियों को पेट्रोल और डीजल के दाम की हर पखवाडे होने वाली समीक्षा के तहत कल दाम घटाने थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
उत्पाद शुल्क वृद्धि को मूल्यों में होने वाली संभावित गिरावट के सापेक्ष समायोजित कर दिया गया है. वैश्विक बाजार में दाम घटने से एक जनवरी को तेल कंपनियों को पेट्रोल का दाम 3.22 रुपये लीटर और डीजल के दाम में 3 रुपये लीटर की कटौती करनी थी. दो रुपये लीटर की उत्पाद शुल्क वृद्धि इसमें समायोजित करने के बावजूद कंपनियों को एक रुपये लीटर का निवल मार्जिन अभी भी मिल रहा है.
