भोपाल। सरकार ने घाटे के नाम पर पेट्रोल/डीजल पर टैक्स बढ़ा दिया लेकिन असलियत तो यह है कि सरकार घाटे में थी ही नहीं। पिछले साल की तुलना में इस साल सरकार को 536 करोड़ रुपए का फायदा होने वाला था। टैक्स बढ़ाने के बाद फायदा और बढ़ जाएगा।
दैनिक भास्कर, इन्दौर के पत्रकार संजय गुप्ता ने खुलासा किया है कि किस तरह घाटे के नाम पर शिवराज सरकार ने आम जनता की जेब काट डाली।
इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश सरकार ने 500 करोड़ के घाटे का तर्क देकर पेट्रोल और डीजल पर शुक्रवार रात से 4% वैट भले ही बढ़ा दिया हो, लेकिन वैट बढ़ाने के पीछे की असली कहानी सरकार छिपा गई। खुद सरकार के आंकड़ों से ही असली सच सामने आ गया है। हकीकत यह है कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से प्रति लीटर होने वाली आय के आंकड़े दिखा रही है, जबकि खपत बढ़ने से पेट्रोल-डीजल से होने वाली कुल आय पिछले छह माह (अप्रैल से अक्टूबर) में बढ़ी है। वह भी 536 करोड़ रु.।
इसके बावजूद अब प्रदेश में पेट्रोल पर 2.08 रुपए और डीजल पर 1.82 रु. अतिरिक्त देना होंगे। दरअसल इसके पीछे सरकार की मंशा जीएसटी के लिए अधिक रैवेन्यू दिखाना था ताकि केंद्र से भरपाई के समय उसे ज्यादा से ज्यादा राशि मिल सके।
टैक्स बढ़ाने के पीछे असल वजह जीएसटी
दरअसल केंद्र सरकार देश भर में जीएसटी लागू करने जा रही है। इसके लागू होने से जिस राज्य सरकार को टैक्स से आय में जितना नुकसान होगा, उसकी भरपाई केंद्र करेगी। इसलिए राज्य सरकार अभी ज्यादा से ज्यादा टैक्स से राजस्व दिखाना चाहती है। इसीलिए बीते दो वर्षों से सरकार वाणिज्यिक कर विभाग को ज्यादा टैक्स कलेक्शन का टारगेट दे रही है। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स वढ़ाने के पीछे भी यही मंशा है।
सरकार टैक्स बढ़ाने के लिए यह आंकड़े दिखा रही है
1. पेट्रोल के दाम में कमी से सरकार को प्रति लीटर 1.65 रु. का घाटा हो रहा है। सिर्फ एक रु. कमी से ही सरकार को एक साल में 40 करोड़ का नुकसान होता है।
2. डीजल के दाम में कमी से सरकार को प्रति लीटर 0.79 पैसे का घाटा हो रहा है। डीजल के दाम में एक रु. कमी होने पर एक साल में 100 करोड़ का नुकसान होता है।
3. पेट्रोल-डीजल की कीमत में 5 माह में हुई कमी के बाद भी सरकार पूर्व दाम के हिसाब से ही अपनी आय में कमी का काल्पनिक आंकड़ा सामने रख रही है।
यह आंकड़े सरकार ने सामने ही नहीं रखे
पेट्रोल से आय 175 करोड़ बढ़ी
> अप्रैल से अक्टूबर 2013- 913 करोड़
> अप्रैल से अक्टूबर 2014- 1088 करोड़
डीजल से आय में 361 करोड़ बढ़ोतरी
> अप्रैल से अक्टूबर 2013- 1915 करोड़
> अप्रैल से अक्टूबर 2014- 2276 करोड़
...और यह हुआ खपत बढ़ने से
> डीजल की खपत: अप्रैल से अक्टूबर 2013 के बीच 20 लाख किलो लीटर थी जो अप्रैल से अक्टूबर 2014 में 22 लाख किलो लीटर हो गई है।
> पेट्रोल की खपत: अप्रैल से अक्टूबर 2013 के बीच छह लाख किलो लीटर थी जो अप्रैल से अक्टूबर 2014 में सात लाख किलो लीटर हो गई है।
