सुगंधित चावलों में जहरीले रसायन की मिलावट जारी

shailendra gupta
बालाघाट। सुगंधित चावल की उत्पादक चावल मिलों द्वारा जहरीले रसायन प्रापेलान ग्लायकाॅल मिलाकर नकली खुशबू बनाने का सिलसिला अभी भी बदस्तूर जारी है। इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार आनंद ताम्रकार द्वारा जनस्वास्थ्य के लिये नुकसान देह जहरीले रसायन से चावल बनाकर उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने के संबंध में शपथ पत्र पर की गई शिकायत की जांच के नाम पर मामले की लीपापोती की जा रही है।

खादय केन्द्र शासन द्वारा बनाये गये खादय सुरक्षा मानक अधिनियम 2006,2011,2014 के प्रावधानों का भी राईस मिलर्स द्वारा खुला उल्लधंन किया जा रहा है। शिकायतकर्ता के अनुसार बाजार में बेचे जा रहे  पैकेट बंद चांवल के नमूने परीक्षण हेतु की सेम्पलिंग करनी चाहिये लेकिन स्वास्थ्य विभाग से जुडे खादय सूरक्षा अधिकारी बाजार में बेचे जा रहे पैक बंद चांवल की सेंम्पलिंग करने की बजाय मिल परिसर में रखे चांवल के ढेर से सेम्पलिंग करा रहे है।

खादय सूरक्षा एवं मानक अधिनियम के  प्रावधानों के अनुसार पैक बंद खादय सामग्री के उपर इस बात की घोषणा की जानी चाहिये की चांवल प्राकृतिक उत्पाद है इसमें किसी भी किस्म की कृत्रिम खुशबु का इस्तमाल नही किया गया और यदि राईस मिल द्वारा प्रापेलान ग्लायकाॅल मिलाकर यदि कृत्रिम खुशबु बनाई गई है तो निर्माता को इस आशय की घोषणा करनी चाहिये की कृत्रिम खुशबु बनाने के लिये किस रसायन का इस्तेमाल किया गया और वह रसायन नुकसान देह नही है यह भी स्पष्ट दर्शया जाना चाहिये की चांवल बनाने की प्रक्रिया में रसायन की कितनी मात्र उपयोग में लायी गई है। इस मामले के उजागर होने के बाद मिल मालिको ने जहरीले रसायन मिलाकर चिन्नौर और बासमती चांवल की नकली खुशबु डलाकर चांवल निर्माण का सिलसिला धडल्ले से चलाया जा रहा है।

बालाघाट जिला के खादय आपूर्ति विभाग द्वारा कृषि मंडीयों को पत्र लिखाकर यह पूछा गया की कृषि मंडी में सुगंधित वेराइटी की कौन कौन सी किस्म की धान किसानों द्वारा बिक्री के लिये लाई जाती है तथा चांवल मिलों द्वारा कौन कौन से ब्राण्ड के नाम पर चांवल का निर्माण किया जा रहा है अवगत कराया जाये।

कृषि मंडी के अधिकारीयों ने मंडीयों में आने वाली सुंगधित वेराइटी की धानों के नामों का उल्लेख करने की बजाये यह जवाब दिया है की मंडी में मोटा और फाइन किस्म की वेराईट किसानों द्वारा लाई जाती है जवाब में यह भी अवगत कराया गया है की राईस मिलों द्वारा किसी ब्राण्ड के नाम पर चंावल का उत्पादन नही किया जा सकता जबकि वास्तुविकता यह है कि हर राईस मिल द्वारा अपने विभिन्न ब्राण्डों नाम पर सुगंधित चांवल बनाकर और उसे पैक बंद कर बेचा जा रहा है जो हर दुकान पर देखा जा सकता है।

अनेक राईस मिलों ने अपने ब्राण्डों का टेडमार्क का रजिस्टेशन भी करावा लिया है। इस तरह जांच के नाम पर वास्तुविकता को दरकिनार रखते हुये ऐनकेन प्रकारेन शिकायत के मूद्दों को झुठा साबित करने का प्रयास किया जा रहा है।

इस मामले के प्रकाश में आने के बाद जहरीले रसायन से बने चावल का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं ने अपने स्वास्थ्य पर दूष्प्रभाव पडने की शिकायते प्रशासन के ध्यान में लाई फिर भी जिला प्रशासन जन स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालने वाले जहरीले रसायन मिलाकर चावल बनाने वाले राईस मिलों पर कोई प्रभावी कार्यवाही करते दिखाई नही दे रहा है।

यदि जिला प्रशासन इस मामले में कोई प्रभावी कार्यवाही नही करता तो जहरीले रसायन मिलाकर चावल बनाने की प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगाने के लिये शिकायतकर्ता द्वारा मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जायेगी।

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