गुरुवार की विधानसभा प्रश्नोत्तरी में धर्मस्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के नाम से पहले 'श्रीमंत" शब्द के उल्लेख पर सियासत गरमा गई। सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के सदस्यों ने इस शब्द को राजशाही का परिचायक बताते हुए सरकारी दस्तावेज में आने पर आपत्ति दर्ज कराई।
हालांकि सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य ने बचाव करते हुए कहा कि टाइपिंग की त्रुटि हो सकती है। सरकारी कामकाज में पदवी का उपयोग नहीं किया जा सकता है। वहीं महिला एवं बाल विकास मंत्री माया सिंह से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने प्रश्नोत्तरी नहीं पढ़ी है।
शिवराज काबीना की वरिष्ठ मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से जुड़े उद्योग, खेल एवं युवक कल्याण के साथ धर्मस्व विभाग के करीब 45 सवाल गुरुवार को लगे थे। इनमें केवल एक मंदिरों के जीर्णोद्धार संबंधी हरदीप सिंह डंग के प्रश्न के लिखित उत्तर में 'श्रीमंत" शब्द का उपयोग हुआ। बस फिर क्या था मीडिया को मुद्दा मिल गया और जयभान सिंह पवैया को फुटेज।
जयभान सिंह पवैया ने कहा कि मैं तो शुरुआत से ही सामंतवादी व्यवस्था से लड़ता रहा हूं। निर्वाचन के समय आवदेन पत्र में प्रत्याशी जो नाम देता है वो ही सामान्यत: विधानसभा में इस्तेमाल किया जाता है पर ये गलत है। मोहन यादव ने भी कहा लोकतंत्र में इस तरह का संबोधन गलत है। इससे सामंतशाही की झलक मिलती है।
तुकोजीराव पवार ने कहा कि मैं अपने नाम के आगे इस तरह के टाइटल का उपयोग नहीं करता हूं। व्यकितगत तौर पर कोई लिखे तो बात अलग है। सरकार के स्तर पर नहीं होना चाहिए। दिव्यराज सिंह ने भी हमारे दादाजी इस तरह का संबोधन लिखते थे। हमने सब बंद कर दिया है। जनता लिखे तो ठीक हम अपनी ओर से नहीं लिखते हैं। इस तरह के टाइटल लिखना ठीक नहीं है।
कांग्रेस के रामनिवास रावत और मुकेश नायक ने कहा कि सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए। जीतू पटवारी ने कहा प्रजातंत्र में राजा और रंक सब बराबर हैं। जो जीतता है वो सिकंदर होता है। इस तरह के शब्दों का प्रयोग दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
वहीं आरके दोगने ने इसे सामंतवादी सोच का परिचायक बताया। उन्होंने कहा कि राजतंत्र खत्म हो गया। अब केवल जनता ही राजा है। इस तरह की सामंतवादी बातें नहीं होना चाहिए। उधर, विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीतासरन शर्मा ने व्यक्तिगत किस्म का मामला होने से इस पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
अपना कहना तो केवल इतना है कि इस 'श्रीमंत' को अपने नाम और दिमाग से निकाल क्यों नहीं देते। सारी समस्याओं की जड़ ही यह 'श्रीमंत' है। एक बार इसे बाहर निकाल दीजिए फिर देखिए कैसे सबके मुंह बंद हो जाते हैं।