भोपाल। मप्र के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा एवं प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण के बीच चल रहे संघर्ष का क्लाइमेक्स शुरू हो गया है। इस बार मुद्दा रीवा के 12 डॉक्टरों को प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाने का है। मंत्रीजी चाहते हैं डॉक्टर मेडिकल कॉलेज में बच्चों को पढ़ाएं और प्रमुख सचिव का कहना है कि पढ़ाई से ज्यादा जरूरी है गरीबों का इलाज।
तनातनी इस कदर बढ़ गई है कि अब इस मामले में सीएम और मुख्य सचिव को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। सीएम ने नरोत्तम मिश्रा के तर्क पर सहमति दे दी है, स्वभाविक रूप से मुख्य सचिव को भी सीएम के आदेश का पालन करवाना है अत: वो प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्णा को बैकफुट पर जाने की सलाह दे रहे हैं परंतु प्रवीर कृष्ण किसी सूरत में पीछे हटने को तैयार नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मिश्रा का कहना है कि इन 12 डॉक्टरों की सेवाएं वापस लेने से मेडिकल स्टूडेंट की पढ़ाई बाधित होगी। वहीं एमसीआई के नियमों के अनुसार मेडिकल कॉलेज में पद कम होने से उसकी पात्रता पर भी प्रश्नचिन्ह लग सकता है।
डॉक्टरों के प्रतिनियुक्ति को लेकर मंत्री और प्रमुख सचिव के बीच तनातनी के बाद यह मामला मुख्यमंत्री के पास पहुंचा था। उन्होंने पूरे प्रकरण का अध्ययन करने के बाद विभागीय मंत्री के तर्क को सही ठहराया। मुख्यमंत्री ने यह भी लिखा कि इस मामले में पांच डॉक्टर कोर्ट गए हैं, इसलिए ध्यान रखें कि कोर्ट की अवमानना न हो।
मुख्य सचिव ने इस मामले में प्रमुख सचिव कृष्ण से जानकारी मांगी तो उन्होंने फाइल पर लिखकर भेज दिया कि यदि डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाता है तो कोर्ट की अवमानना होगी। उनके जवाब से संतुष्ट न होने पर मुख्य सचिव ने विधि विभाग से पूछा तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार डॉक्टरों को कहीं भी पदस्थ करने के लिए सक्षम है, इसलिए कोर्ट की अवमानना का सवाल ही नहीं उठता है।
देर रात बंगले पर भेजी फाइल
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि विधि विभाग का मत मिलने के बाद मुख्य सचिव डिसा ने उक्त फाइल पर निर्देश दिए कि डॉक्टरों की सेवाएं तत्काल मेडिकल कॉलेज रीवा को प्रतिनियुक्ति पर वापस दें। इस बीच प्रमुख सचिव समय से पहले मंत्रालय से घर चले गए।
प्रमुख सचिव की गैर मौजूदगी के कारण फाइल लौटने पर मुख्य सचिव ने विशेष वाहक के माध्यम से गुरुवार देर रात फाइल को उनके बंगले पर भिजवाई। इसके बावजूद प्रमुख सचिव ने डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति मेडिकल कॉलेज को देने के आदेश जारी नहीं किए।
डॉक्टरों ने नहीं दी ज्वाईनिंग
इधर प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के तीन महीने बाद भी डॉक्टरों ने अपनी ज्वाईनिंग नए स्थान पर नहीं दी है। स्वास्थ्य आयुक्त पंकज अग्रवाल इन डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की तैयारी में हैं। इनमें डॉ. अनिल श्रीवास्तव मेडिकल विशेषज्ञ को सिविल अस्पताल त्यौंथर रीवा, डॉ. प्रमोद कुमार मिश्रा मेडिकल विशेषज्ञ को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हनुमना रीवा, डॉ. रामभिलाष दुबे सर्जरी विशेषज्ञ को त्यौंथर रीवा, डॉ. अशोक प्रताप सिंह चिकित्सा अधिकारी मेडिसिन को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गुढ़ रीवा, डॉ. श्रीमती फरहा सिद्धीकी चिकित्सा अधिकारी एमएस नेत्र को त्यौंथर रीवा, डॉ. अखिलेश तिवारी चिकित्सा अधिकारी एमडी मेडिसिन को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जवा रीवा, डॉ, एमके तिवारी चिकित्सा अधिकारी को जवा रीवा, डॉ. आनंद सिंह चिकित्सा अधिकारी एमडी मेडिसिन को सेमरिया रीवा, डॉ. अतुल सिंह चिकित्सा अधिकारी को चाकघाट रीवा, डॉ. मिताली चौधरी को चाकघाट रीवा और डॉ किरण बाला मिश्रा को नई गढ़ी रीवा में पदस्थ किया था।
अब देखना यह है कि यह तनातनी किस नतीजे को लेकर आती है। ये 12 डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति समाप्त होगी या प्रवीर कृष्ण की स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं। वैसे स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी इस दिन का ही इंतजार कर रहे हैं।