भोपाल। कालाधन इन्वेस्ट कराने एवं टैक्स चोरी करने वाले भोपाल के 100 से ज्यादा बिल्डर्स एवं किसानों को चिन्हित किया गया है। आयकर विभाग ने सभी को नोटिस भेजकर तलब किया है। सभी पर जमीनों के सौदे छिपाने एवं काली कमाई इंवेस्ट कराने जैसे कई आरोप हैं।
आयकर विभाग की इन्टेलीजेंस एंड क्रिमनल इन्वेस्टीगेशन विंग मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट के तहत ऐसे दबे-छिपे मामलों की छानबीन शुरू की तो अरबों रुपए की टैक्स चोरी सामने आ रही है। भोपाल और आस पास में बिल्डर एवं किसानों के बीच हुए सौदे में तो कई चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं। शुरुआती तौर पर 100 से अधिक बिल्डर और किसान निशाने पर हैं।
शहर एवं उससे लगी आठ किमी दायरे की कृषि भूमि अथवा अन्य प्रापर्टी बेचने वालों को 20 प्रतिशत कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। प्रापर्टी की रजिस्ट्री कराने के छह महीने में यदि विक्रेता सौदे की राशि किसी अन्य प्रापर्टी में निवेश कर देता है कि तो आईटी एक्ट के अनुसार उसे टैक्स से छूट पाने की पात्रता होती है, लेकिन छानबीन में पता चला कि बड़े शहरों में ऐसे ज्यादातर सौदों की जानकारी विभाग को नहीं भेजी गई। ऐसे में खुफिया विंग की दिल्ली स्थित डायरेक्टर जनरल अमिता सैनी एवं मप्र-छग के डायरेक्टर केसी घुमरिया ने प्रदेश में यह पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है।
आमदनी व सौदों के मांगे डिटेल
आयकर विभाग के मैदानी अमले और अन्य एजेंसियों से बिल्डरों और किसानों के शाही खर्चों का ब्यौरा मिला है, जबकि इनके आयकर रिटर्न में आमदनी कम दर्शाई गई है। कारोबार का टर्नओवर भी ऐसा नहीं था जो उनकी जीवन शैली से मेल खाता हो। विभाग ने ऐसे बिल्डरों से आमदनी और सौदों की पूरे डिटेल बुलाए हैं। ऐसे लोगों की दो-तीन श्रेणियां बनाई गईं हैं। इनमें सौ से अधिक ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने रिटर्न में लाखों-करोड़ों रुपए के इन सौदों की जानकारी तक नहीं दी।
नए सिरे से होगा असेसमेंट
खुफिया विंग ने इन सभी लोगों से पूछताछ के बाद उनके प्रकरण फील्ड अफसरों के हवाले करने का निर्णय किया जहां नए सिरे से असेसमेंट कर टैक्स वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी। इन सभी मामलों में 110 करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी निकलने की संभावना है। खुफिया विंग मौजूदा वित्त वर्ष में करीब 350 करोड़ की टैक्स चोरी पकड़ चुकी है जबकि पिछले साल 150 करोड़ के मामलों का खुलासा हुआ था।