शशांक मिश्रा/सिवनी मालवा- नए बस स्टैण्ड पर 21 दिसंबर को सुबह जन्में बच्चें की 24 दिसंबर को सुबह मौत हो गई। बच्चें की मौत की सूचना आसपास दुकान संचालित कर रहे लोगों ने मीडियाकमीर्यो को दी। तब पुलिस थाने में चर्चा करने पर पुलिस के द्वारा यह कहने पर कि यदि महिला या उसके परिजन रिर्पोट दर्ज नहीं कराना चाहते है, तो मृत बच्चें का अंतिम संस्कार किया जा सकता है। तब बच्चें का अंतिम संस्कार बस स्टैण्ड के आसपास दुकान संचालित करने वालों लोगों ने कर दिया। ज्ञात हो कि महिला एक ठेले पर बोरे में बांध कर बच्चें का लालन पालन कर रही थी। जिसके पास ठंड से बचाव के भी पर्याप्त संसाधन नहीं थें।
अस्पताल प्रबंधन को नहीं पता कब हो गई डिस्चार्ज
जब इस संबध में प्रतिनिधि के द्वारा फोन पर बीएमओं एके वर्मा से पूछा गया कि बच्चा एवं प्रसूता को कब और किसके द्वारा डिस्चार्ज किया गया। तो उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि वह अस्पताल से कैसे चली गई। हम खुद महिला को ढूढ रहे है। वहीं महिला चिकित्सक डा.कांति भास्कर का कहना है कि प्रसूता एंव बच्चा दोनों स्वस्थ थें। डिस्चार्ज किसने किया इस संबध में हमें कोई जानकारी नहीं है।
अस्पताल प्रबंधन जुटा अपने आप को बचाने में
प्रतिनिधि के द्वारा मामले की जानकारी लेने के बाद से अस्पताल प्रबंधन अपने आप को बचाने में जुटा है अस्पताल में कार्यरत लोगों का कहना है कि दो महिला प्रसूता स्वाति गौड़ की छुट्टी कराने आई थी। तब ही हमने छुट्टी दी है। वहीं दोनों महिलाओं से चर्चा करने पर महिला रेखा बाई एंव सुरेखा बाई ने बताया कि हमारे द्वारा छुट्टी नहीं ली गई है। अस्पताल से कहा गया कि ले जाओं तो हम ले आए।
महिला की मदद करने वाले परेशान
बस स्टैण्ड पर महिला के प्रसव के बाद से ही उसकी मदद कर रहे लोग परेशान है। उनका कहना है कि एक और तो हमें पता नहीं था कि अस्पताल प्रबंधन को पता ही नहीं है कि स्वाति को डिस्चार्ज कर दिया गया है। हमने यह सोच बच्चें का अंतिम संस्कार (दफना दिया) कर दिया कि अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। इस संबध में पुलिस से भी पूछताछ कि गई थी उन्हेांने कहा था कि यदि रिर्पोट दर्ज नहीं कराई जाती है तो अंतिम संस्कार किया जा सकता है अस्पताल प्रबंधन की गलती के चलते हमें भी परेशान होना पड़ेगा।
महिला बाल विकास विभाग को नहीं है जानकारी
उक्त प्रसूता स्वाति गौड उर्फ पप्पी ग्राम खखरापुरा की रहने वाली है, जो बस स्टैण्ड पर लम्बे समय से रह रही है लेकिन इस संबध में ना तो खखरपुरा की आशा कार्यकर्ता को जानकारी है ना ही महिला बाल विकास विभाग में किसी को जानकारी है। इससे स्पष्ट होता है कि केवल कागजों पर ही महिला बाल विकास विभाग का कार्य किया जा रहा है।
स्वाति के पास मिला डिस्जार्च लैटर
प्रतिनिधि के द्वारा जब इस संबध में जानकारी लेने की कोशिश की गई तो अजीब वाक्या सामने आया। उक्त महिला स्वाति गौड़ के पास बच्चें का जन्म प्रमाण पत्र एंव डिस्जार्च लैटर दोनों मिले जिससे स्पष्ट होता है कि बीएमओं एंव महिला चिकित्सक को बिना जानकारी दिए ही बच्चें को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। जबकि महिला का कोई नहीं होने के चलते उसे बीएमओं और कुछ दिन रखना चाहते थें। वहीं पहले बीएमओं के द्वारा प्रसूता के मन से चले जाने की बात कहीं गई।
मुझे मेरे मां बाप रखना नहीं चाहते है वहीं मेरा पति विक्की छोड़ कर चला गया है, बस स्टैण्ड पर ही रहकर जीवन यापन कर रही हूँ कई बार कहने पर भी अस्पताल में नहीं रखा गया इसिलए यहां रह रही हूँ
स्वाति पति विक्की गौड़
प्रसूता
बच्चें को वापस निकाल कर पीएम किया जाएगा अगर जरूरत पड़ी तो,अभी महिला को बुला लिया गया है, डिस्चार्ज कैसे और किसने कर दिया यह पता किया जा रहा है-
ए.के. वर्मा बीएमओं
फोटो- सि.मा. २४-१२-०१ इस तरह से रह रही थी प्रसूता और बच्चा