भोपाल। राजधानी में डेंगू से दो मरीजों की मौत ओवर मेडिकेशन के कारण हुई। इन मरीजों की बीमारी का पता करने में डॉक्टरों को कुछ वक्त लगा। बीमारी को काबू करने की जल्दबाजी में उन्होंने जरूरत से ज्यादा दवाएं दे दी। जबकि तीन मरीजों की मौत उनके अस्पताल में काफी देर से पहुंचने के कारण हुई है। इसकी पुष्टि इंट्रीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम की जांच रिपोर्ट में हुई है।
यह जानकारी बुधवार को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रवीर कृष्ण ने दी। वे एक होटल में इबोला और स्वाइन फ्लू के संक्रमण की रोकथाम विषय पर मीडिया से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मरीज काे दवाओं का ओवरडोज देने वाले डॉक्टरों को दोबारा इस तरह की गलती करने के संबंध में नोटिस दिया गया है। इसके अलावा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सर्दी, खांसी और बुखार के मरीजों की निगरानी करने के आदेश दिए हैं।
उन्होंने बताया कि भोपाल में इस साल डेंगू के करीब 600 पॉजिटिव मरीज मिले हैं। उन्होंने बताया कि निजी अस्पतालों में डेंगू का इलाज कराने पहुंचे 90 फीसदी मरीजों को डॉक्टरों ने जबरन ब्लड प्लेटलेट चढ़ाए, जबकि कई मरीजों को इसकी जरूरत नहीं थी। उन्होंने बताया कि अगले साल डेंगू का संक्रमण फैलने पर डॉक्टरों को इलाज करने में परेशानी आए, इसके लिए विशेषज्ञों से ट्रेनिंग भी दिलवाई हैं।