भोपाल। कतरा कतरा बंट चुकी कांग्रेस को एकजुट करने की कोशिश इस बार पीसीसी के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा कर रहे हैं। टिकिट की राजनीति से दूर मिश्रा इस बावत अपील जारी की है। यह बात दीगर है कि कांग्रेस ने बगावत के एलान और इस्तीफों की शुरूआत हो चुकी है।
आज जारी अपील में प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने नगरीय निकाय निर्वाचन में टिकट वितरण के लिए पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया को अपनाया है। पिछले कई चुनावों में पार्टी पर ठेकेदारी प्रथा होने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस बार हुआ पारदर्शी टिकट वितरण इस आरोप को नकारता है।
आज यहां जारी अपने बयान में श्री मिश्रा ने कहा कि अ.भा. कांग्रेस कमेटी ने पहली बार नगरीय निकायों के चुनाव के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किये। इस बार प्रदेश कांग्रेस द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों के अलावा 32 केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किये गये। इस प्रकार 32 केंद्रीय पर्यवेक्षकों सहित कुल पर्यवेक्षकों की संख्या 1200 से अधिक थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 280 नगरीय निकायों में लगभग 5 हजार टिकट तय करने के लिए जिला स्तर पर समन्वय समितियां भी गठित की गईं, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों और समूहों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया गया। स्थानीय स्तर पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद लगभग 65 प्रतिशत टिकट नये कार्यकर्ताओं को दिये गये हैं।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व की सहमति प्राप्त कर संगठन में नयी पौध को आगे लाने का पूरी ईमानदारी के साथ प्रयास किया गया है। इसके लिए पार्टी को कठोर निर्णय लेना ही होंगे। इस उद्देश्य के अनुरूप कदम उठाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व को विश्वास लिया गया। ऐसे कठोर निर्णय लेना पार्टी की मजबूती के लिये आज के समय में जरूरी है। इस कारण प्रतिक्रिया का होना भी स्वाभाविक ही है, लेकिन यह सब परिवार के भीतर का मामला है, जिसे पार्टी के वरिष्ठजन संगठन के व्यापक हित में सभी नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने में कामयाब हो जायेंगे। पार्टी को पूरा विश्वास है कि यह पारिवारिक मामला मिल-बैठकर बातचीत से सुलझा लिया जायेगा।