सागर यूनिवर्सिटी भर्ती घोटाला: सीबीआई के हाथ लगे चौंकाने वाले सबूत

भोपाल। सागर के डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय से भर्ती घोटाले के अनेक महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हैं। फर्जीवाड़े की पड़ताल कर रही सीबीआई को भर्ती प्रक्रिया का पूरा रिकॉर्ड नहीं मिल रहा। इंटरव्यू में आवेदकों को कितने अंक किस आधार पर दिए गए, इसका ब्यौरा नहीं है। एक्सपर्ट के रूप में जिन लोगों को बुलाया उनका आवेदकों के साथ संबंध भी छिपा लिया गया। यूजीसी की गाइडलाइन का सरासर उल्लंघन मिल रहा है।

देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक गौर विवि के इस सनसनीखेज भर्ती घोटाले में सीबीआई को चौंकाने वाले सुबूत मिल रहे हैं। सीबीआई के जांच दल ने विवि प्रशासन से जब भर्ती प्रक्रिया के दौरान इंटरव्यू में दिए गए अंकों का रिकॉर्ड मांगा तो यह अहम दस्तावेज नदारद पाया गया। आवेदकों को इंटरव्यू में किस आधार पर अंक बांटे गए, विवि प्रशासन अथवा सिलेक्शन कमेटी फिलहाल इसका कोई औचित्य साबित नहीं कर पा रहे। इसलिए सीबीआई के जांच दल ने अब हर आवेदन की बारीकी से छानबीन शुरू की है। इसमें यह भी खुलासा हुआ कि कुछ विभागों में तो बिना पद के ही भर्तियां कर दी गईं।

सीबीआई भी भौंचक
सीबीआई अफसर भी फर्जीवाड़ा का स्वरूप देख भौंचक हैं। नियमों की सरासर धज्जियां उड़ाईं, अपने लोगों को रेवड़ी की तरह नौकरी बांटी गईं। विभिन्न् विभागों में 70 से अधिक पद तो बिना विज्ञापन के भर लिए गए। इनमें केमिस्ट्री में 4 पदों के लिए विज्ञापन निकाला लेकिन नियुक्ति 10 की कर दी गई। आश्चर्य तो यह है कि उर्दू जैसे विभाग में बिना जरूरत के 4 शिक्षकों की पोस्टिंग कर दी गई, एक शिक्षक पहले से था।

वहां कुल 5 शिक्षक हो गए, विडंबना देखें कि विभाग में छात्रों की संख्या भी 5 ही है। लायब्रेरी में बिना जरूरत 1 प्रोफेसर, प्रौढ़ शिक्षा में 3, एजुकेशन में 6, हिन्दी में 2 के स्थान पर 8, पत्रकारिता में 3, हिस्ट्री में 3, बॉयो टेक 1 के विरुद्ध 3 एवं मनोविज्ञान विभाग में 2 शिक्षकों की अतिरिक्त नियुक्ति पाई गईं हैं।

एक्सपर्ट-आवेदकों का घालमेल
सीबीआई पड़ताल में यह भी सामने आया कि कुछ आवेदक ऐसे भी थे, जिन्हें विवि प्रशासन ने एक्सपर्ट अथवा स्क्रूटनी कमेटी में बतौर सदस्य भी रख लिया था। कुछ एक्सपर्ट अपने स्टूडेंट्स की भर्ती करने वाली कमेटी में बैठे पाए गए। आवेदक के रूप में कतिपय रिसर्च स्कॉलर ऐसे भी थे, जिनके गाइड ने ही भर्ती परीक्षा ले डाली।

सीबीआई सूत्रों का कहना है कि भर्ती से जुड़ा महत्वपूर्ण रिकॉर्ड तलाशने का काम चल रहा है। फिलहाल अलग-अलग टीमें सुबूत जुटा रही हैं, विवि के प्रशासकीय अफसरों से पूछताछ चल रही है। घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद सीबीआई के सामने अन्य स्त्रोतों से भी सूचनाएं आने लगी हैं।

गजभिए पर वेट एंड वाच
घोटाले के सूत्रधार रहे पूर्व कुलपति प्रो.एनएस गजभिए के बारे में सीबीआई का जांच दल फिलहाल वेट एंड वाच की मुद्रा में है। सीबीआई का मानना है कि पहले भर्ती से जुड़े तमाम सुबूत एकत्र हो जाएं उसके बाद गजभिए पर फिर से दबिश बढ़ाई जाएगी। वह ज्यादा दिन तक लुका-छिपी नहीं कर पाएंगे। इसी तरह पटना विवि के कुलपति वायसी सिम्हाद्री को भी पूछताछ के लिए कुछ दिन की मोहलत दे दी गई है।

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